सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पत्र वायरल हो रहा है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल लोगों के सवालों के घेरे में है। दरअसल, पत्र में सुशांत गोल्फ सिटी निवासी मरीज मोहन स्वरूप भारद्वाज (45) ने कहा कि मेदांता अस्पताल ने एसिडिटी से पीड़ित मरीज के इलाज के लिए आठ लाख रुपये की मांग करते हुए कहा कि उसकी जान को खतरा है और वॉल्व बदलना पड़ेगा। इसके बाद मरीज ने अपनी समस्या एक निजी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाई, जहां महज 125 रुपये की दवा से उसका इलाज हो गया। इस पूरी घटना को लेकर पीड़ित ने 25 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मेदांता अस्पताल के खिलाफ शिकायत की है।
क्या लिखा है पत्र में?
मिली जानकारी के अनुसार मरीज मोहन स्वरूप भारद्वाज ने पत्र में लिखा है कि, 23 मई 2024 को शाम करीब साढ़े चार बजे वह चक्कर आने से गिर पड़ा और पसीने से भीग गया। आनन-फानन में उसके भाई और पत्नी उसे मेदांता अस्पताल ले गए और भर्ती कराया। एसिडिटी से पीड़ित मरीज की जान को खतरा बताते हुए मेदांता अस्पताल में डॉ. महिम सरन और डॉ. अवनीश (कार्डियोलोजी) ने उनकी एंजियोग्राफी और अन्य जांचें कीं। जांच के बाद उनके भाई और पत्नी से 8 लाख रुपए मांगे गए और कहा गया कि मरीज के दिल में वॉल्व लगाया जाएगा। अगर 30 मिनट के अंदर पैसे का इंतजाम नहीं हुआ तो उनकी मौत हो जाएगी। उनके भाई और पत्नी के पास इतने पैसे नहीं थे। उनके पास सिर्फ 2 लाख रुपए नकद थे।
उसी दौरान कुछ समय बाद मरीज के दोस्त मनोज कुमार वहां पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि उन्हें दिल की कोई समस्या नहीं है। उनके पेट में गैस की समस्या है। वे मरीज को मेदांता से निकालकर ग्लोबल अस्पताल में डॉ. दीपक अग्रवाल को दिखाना चाहते थे, लेकिन मेदांता अस्पताल के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें डिस्चार्ज करते समय उनके साथ बदतमीजी की और गाली-गलौज की। यहां तक कि उनके भाई और पत्नी से भी झगड़ा किया।
मात्र 125 रुपए की दवाई में ठीक हो गया मरीज
किसी तरह उनके भाई, पत्नी और दोस्त ने उन्हें डिस्चार्ज करवाया और आधी रात को ग्लोबल हॉस्पिटल के डॉ. दीपक अग्रवाल के पास ले गए। वहां डॉ. दीपक अग्रवाल ने उनकी जांच करने के बाद मात्र 125 रुपए की दवा लिखी और तीन इंजेक्शन लगाए। दो घंटे में ही उन्हें आराम मिल गया। सुबह पांच बजे वे पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट आए। मेदांता में 24 हजार रुपए खर्च हुए।
पत्र में मोहन स्वरूप भारद्वाज ने आगे लिखा कि अगर मेदांता अस्पताल में उनके दिल में वॉल्व लगाया गया होता तो उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती। इसलिए वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध करते हैं कि अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और वहां खर्च हुए लगभग 24 हजार रुपये वापस दिलाने की कृपा करें।
मेदांता हॉस्पिटल ने दी सफाई
मेदांता अस्पताल का कहना है कि मरीज ने मनगढ़ंत कहानी रची है। मेदांता अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार मरीज सीने में दर्द की शिकायत लेकर ओपीडी में आया था। जांच में उसके खून में ट्रोपोनिन I की मात्रा अधिक पाई गई। पता चला कि उसे हार्ट की समस्या है। ईसीजी में हार्ट में ब्लॉकेज के लक्षण दिखे। उसके हार्ट में ब्लॉकेज था, लेकिन अब वह कह रहा है कि 125 रुपए में ठीक हो गया। हमारे पास मरीज की एंजियोग्राफी समेत सभी रिपोर्ट हैं। आप चाहें तो देख सकते हैं। दवा से उसे तत्काल आराम मिल सकता है, लेकिन यह किसी भी बीमारी का स्थायी इलाज नहीं है।
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