Medanta Hospital Controversy: मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम में एक मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं। लखनऊ के वासुदेव डेम्बला, जो लीवर ट्रांसप्लांट के लिए 22 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे, उनकी 1 मार्च को मृत्यु हो गई। परिजनों का दावा है कि अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही बरती, समय पर सही इलाज नहीं दिया और लगातार शिकायतों के बावजूद स्थिति में सुधार लाने के प्रयास नहीं किए।
परिवार का आरोप: इलाज में हुई देरी (Medanta Hospital Controversy)
परिवार के अनुसार, वासुदेव डेम्बला को पहले ILBS अस्पताल, दिल्ली में चेकअप के बाद तीन महीने बाद सर्जरी कराने की सलाह दी गई थी। लेकिन परिजनों को लगा कि मेदांता में जल्द ट्रांसप्लांट हो सकता है, इसलिए उन्होंने वहां भर्ती कराने का फैसला किया। डॉक्टरों ने परिवार को आश्वासन दिया था कि पांच दिनों के भीतर ट्रांसप्लांट किया जाएगा, लेकिन 1 मार्च तक केवल संक्रमण (इन्फेक्शन) का इलाज किया जाता रहा।
डॉ नरेश त्रेहन और डॉ सोइन, मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम.
इंसानियत बची हो तो सुन कर सुधार लाइएगा-आप मेरे दोस्त के इस परिवार की आवाज़ को सुनिएगा ज़रूर, क्योंकि समय पर सही तरीक़े से सुना होता तो आज ये अपने को खोने का दर्द नहीं झेल रहे होते.
एक अच्छा ख़ासा व्यक्ति अपने पैरों पर… pic.twitter.com/fkXJgVHogD
— Vishal Pandey (@vishalpandeyk) March 2, 2025
“लीवर ट्रांसप्लांट के लिए भर्ती किए गए थे, लेकिन इलाज सिर्फ इन्फेक्शन का किया जाता रहा। डॉक्टरों ने समय पर सर्जरी करने की कोशिश भी नहीं की,” परिजनों ने कहा।
डॉक्टरों से संपर्क करने के बावजूद कोई जवाब नहीं
परिवार ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। वासुदेव डेम्बला के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई बार डॉ. नरेश त्रेहन को कॉल किया और अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों से संपर्क साधा, लेकिन इलाज में लापरवाही जारी रही।
परिजनों का आरोप है कि 28 फरवरी को जब परिवार ने डॉ. अरविंद सोइन से मुलाकात की, तो उनका रवैया भी असंवेदनशील था। उनका व्यवहार उनके पद और गरिमा के अनुकूल नहीं था, जिससे परिजन और ज्यादा परेशान हो गए।
इलाज के नाम पर भारी बिल, लेकिन सही इलाज नहीं
परिवार का कहना है कि इलाज के दौरान मेदांता प्रशासन ने बार-बार भारी भरकम बिल बनाए, लेकिन उचित इलाज नहीं दिया। “बड़े अस्पताल इलाज से ज्यादा पैसों पर ध्यान देते हैं,” एक परिजन ने कहा।
परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि शिकायतों पर ध्यान देने के बजाय डॉक्टरों और स्टाफ ने मामले को टालने की कोशिश की। सही समय पर सही उपचार न मिलने के कारण मरीज की स्थिति बिगड़ती चली गई और अंततः उनकी मृत्यु हो गई।
बड़े अस्पतालों पर सवाल
इस घटना ने फिर से बड़े निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ होने वाले व्यवहार और लापरवाही के मामलों को उजागर किया है। परिजनों का कहना है कि बड़े अस्पतालों में केवल जानी-मानी हस्तियों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि आम मरीजों को सही इलाज नहीं मिलता।
“अगर यह मामला किसी बड़ी हस्ती का होता, तो इलाज में इतनी देरी नहीं की जाती,” मृतक के एक रिश्तेदार ने कहा।
परिजनों की अपील: सही अस्पताल चुनें
इस घटना के बाद वासुदेव डेम्बला के परिवार ने सभी से अपील की है कि बड़े ब्रांड और बड़े नाम देखकर अस्पताल का चयन न करें। “जिस डॉक्टर या अस्पताल पर आपको भरोसा हो, उसी को चुनें, बड़े नामों के पीछे न भागें,” परिजनों ने कहा।
मामले की होगी जांच?
इस पूरे मामले पर अब स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। यदि परिवार इस मामले को आगे ले जाता है, तो अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जांच की मांग की जा सकती है।