पीएम मोदी के विकल्प हैं अरविंद केजरीवाल इसीलिए केंद्र डरकर लाई GNCTD बिल…बोले मनीष सिसोदिया

पीएम मोदी के विकल्प हैं अरविंद केजरीवाल इसीलिए केंद्र डरकर लाई GNCTD बिल…बोले मनीष सिसोदिया

बीते दिनों राज्यसभा और लोकसभा में केंद्र सरकार की ओर से गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली (GNCTD) बिल पेश किया और दोनों ही सदनों से विपक्षी पार्टियों के विरोध के बावजूद पास हो गया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रुप ले लेगा। 

इसके तहत दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ेंगी। केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर सियासत चरम पर है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार केंद्र सरकार को निशाने पर ले रही है। 

इसी बीच दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि GNCTD बिल पास कराने से साफ पता चलता है कि केंद्र की मोदी सरकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार से कितना डरी हुई है और खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है।

‘पीएम मोदी के विकल्प हैं केजरीवाल’

दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, आज पूरा देश पीएम मोदी के विकल्प पर बात कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल एक काम करने वाले नेता हैं इसलिए उनको पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है और इसीलिए केंद्र सरकार असुरक्षित महसूस कर रही है।‘ 

सिसोदिया ने पीएम मोदी पर नेगेटिव राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘किसी भी लकीर को मिटाने की बजाय उससे बड़ी लकीर खींची जाती है लेकिन पीएम लकीर को ही मिटाने की कोशिश में लगे हुए हैं। जो उन्हें बिल्कुल भी शोभा नहीं देता।‘ 

दिल्ली पर राज करना चाहती है केंद्र

उप मुख्यमंत्री ने कहा, केंद्र कुछ काम नहीं कर रही है और केजरीवाल सरकार जो काम कर रही है उसमें भी रुकावट डालने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने ने कहा कि केंद्र केजरीवाल सरकार के कामकाज से डरी हुई है इसीलिए वह GNCTD बिल लेकर आई है।

सिसोदिया ने आगे कहा कि इस बिल के जरिए केंद्र दिल्ली पर राज करना चाहती है इसीलिए चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीनकर एलजी को दे दिया गया है। उन्होंने कहा, राजधानी की जनता ये तानाशाही बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ लड़ेगी।

जानें क्या है मामला?

बता दें, संसद के दोनों सदनों में पास हो चुके GNCTD बिल के तहत उप राज्यपाल का अधिकार क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है। बिल में प्रावधान है कि राज्य कैबिनेट या सरकार किसी भी फैसले को लागू करने से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर की ‘राय’ लेगी। इस बिल के मुताबिक दिल्ली विधानसभा में बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब एलजी ही होगा। एलजी को सभी निर्णयों, प्रस्तावों और एजेंडा की जानकारी देनी होगी। 

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