आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में हलचले काफी तेज हो गई है। दिल्ली सरकार और दिल्ली के राज्यपाल के बीच के रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। अरविंद केजरीवाल की सरकार पहले भी कई बार दिल्ली के राज्यपाल पर सरकार के काम में दखल देने का आरोप लगा चुकी है।
इसी बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके तहत राज्यपाल को विधानसभा से अलग कई ऐसी शक्तियां दी जाएंगी, जिनपर अबतक दिल्ली सरकार का अधिकार होता था। केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले पर दिल्ली सरकार और केद्र सरकार के बीच एक बार फिर से तनातनी बढ़ गई है। आज शुक्रवार को दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है और कई तरह के आरोप लगाए हैं।
‘मोदी सरकार दिल्ली पर शासन करना चाहती है’
मनीष सिसोदिया ने कहा है कि ‘एलजी सार्वजनिक हित के मामलों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करने और सरकार के काम में बाधा डालने के लिए इस अधिनियम का उपयोग कर सकते हैं।’ उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर शासन करना चाहती है। सिसोदिया ने कहा कि यह अधिनियम लोकतंत्र, संविधान और दिल्ली के नागरिकों की मर्जी के खिलाफ है।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्र मंत्रिमंडल ने एक कानून पेश किया है जिससे दिल्ली की चुनी हुई सरकार से शक्तियां छीन ली जाएंगी और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को दे दी जाएंगी। दिल्ली सरकार को अपने फैसले लेने की आजादी नहीं होगी। बीजेपी दिल्ली पर पिछले दरवाजे से शासन करना चाहती है क्योंकि लगातार तीन चुनावों में उन्हें दिल्लीवालों ने हार का मुंह दिखाया है।‘
मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया, ‘केंद्र की बीजेपी सरकार ने एलजी की शक्तियों को बढ़ाने वाले इस कानून को गोपनीय तरीके से मंजूरी दी है। दिल्ली की सरकार बनाने का जो यह कानून है जिसे GNCTD एक्ट कहते हैं। इसमें बदलाव करके केंद्र सरकार अब उपराज्यपाल को इतनी शक्तियां देने जा रही है, जिसके बाद उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को आसानी से रोक सकते हैं।‘
दिल्ली सरकार के पास नहीं होगी निर्णय लेने की शक्ति
सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अब फैसले लेने का अधिकार नहीं होगा, ये अधिकार अब LG के पास होंगे। जिसका मतलब है केंद्र की BJP सरकार के पास होंगे। राज्य सरकार जिसको दिल्ली की जनता चुनती है उसके पास अब निर्णय लेने की शक्ति नहीं होगी।‘
बता दें, केंद्रीय कैबिनेट ने गवर्नमेंट ऑफ NCT एक्ट में कुछ बदलाव किए हैं। जिसमें अब गवर्नर को विधानसभा से अलग कई स्पेशल पावर दिए जाएंगे। इससे पहले दिल्ली सरकार कई फैसले अपने अधिकार से लेती थी लेकिन अब उन्हें राज्यपाल से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। सरकार के इस फैसले पर आम आमदी पार्टी ने नाराजगी जाहिर की है।