गाय के गोबर या गोमूत्र से कोरोना का इलाज संभव नहीं…ये बात कहना एक पत्रकार को इतना भारी पड़ गया कि इसके लिए उन्हें 2 महीने जेल में बिताने पड़े। उन पर NSA के तहत कार्रवाई तक कर दी गई। हालांकि इस मामले में अब हाई कोर्ट ने पत्रकार को बड़ी राहत देते हुए रिहा कर दिया है।
बीजेपी नेता के निधन पर किया था ये पोस्ट
दरअसल, ये मामला एक बीजेपी नेता की मौत से जुड़ा हुआ है। मई में मणिपुर बीजेपी अध्यक्ष एस. टिकेंद्र सिंह का कोरोना के चलते निधन हो गया। उनकी मौत पर पत्रकार को किशोरचंद्र वांगखेम और एक राजनीतिक कार्यकर्ता एरेन्द्रो लीचोम्बाम ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि गोमूद और गाय के गोबर से कोरोना का इलाज संभव नहीं। इस फेसबुक पोस्ट मामले पर शिकायत मिलने के बाद मणिपुर पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया था।
लगा दिया गया था NSA
13 मई को इन दोनों की गिरफ्तारी की गई थी। 17 मई को स्थानीय अदालत ने इनकी रिहाई की आदेश दे दी थी, लेकिन इसके बाद प्रशासन ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA लगा दिया और उन्हें रिहा नहीं किया। तब से वो जेल में थे।
अब 19 जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक कार्यकर्ता एरेन्डो लीचोम्बाम को रिहा करने का आदेश दिया। उन पर ही वो ही आरोप लगे, जो पत्रकार पर लगे थे। उन्होंने बीजेपी नेता के निधन पर दुख व्यक्ति करते हुए एक पोस्ट किया था, जिसमें कहा था कि कोरोना का इलाज गोमूत्र और गाय के गोबर से नहीं होगा. इसका इलाज विज्ञान और कॉमन सेंस है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद पत्रकार रिहा
एरेन्डो को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 23 जुलाई शुक्रवार को मणिपुर हाई कोर्ट ने पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को भी रिहा करने का आदेश दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पत्रकार को जेल में रखने से उतना ही संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा, जितना कि एरेन्ड्रो लीचोम्बन के मामले में होता। दोनों एक ही तरह के फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार हुए थे। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए वांगखेम को भी रिहा किया जाए।
3 साल में 3 बार गिरफ्तार हुए पत्रकार
वैसे ऐसा पहली बार नहीं, जब किशोरचंद्र वांगखेम को अरेस्ट किया गया हो। तीन साल में वो तीन बार गिरफ्तार हो चुके हैं। 2018 में वांगखेम को एन बिरेन सिंह सरकार की आलोचना करने पर गिरफ्तार किया गया था। तब भी उनके खिलाफ राजद्रोह और NSA समेत कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रैल 2019 में वो रिहा किए गए थे। फिर सितंबर 2020 में भी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उन्हें राजद्रोह के आरोप में अरेस्ट किया गया था।
NSA का गलत इस्तेमाल कर रही सरकारें?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने के संबंध में एक कानून है। इस कानून से केंद्र या राज्य सरकार को किसी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेना का अधिकार देता है। अगर किसी सरकार को ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ी कर रहा है, तो उसे इसके तहत हिरासत में लिया जा सकता है। NSA के तहत सरकार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा सकती है।
लेकिन अब सरकारों के द्वारा इस कानून का दुरुपयोग करने का आरोप लगता रहता है। सिर्फ मणिपुर ही नहीं यूपी सरकार पर भी NSA का गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहते हैं। तमाम कोर्ट भी इसको लेकर कई बार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके है।