पश्चिम बंगाल में आये दिन भारतीय जनता पार्टी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की खबरें सामने आती रहती है। दोनों ही पक्षों के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी जोर शोर से चलता है। पश्चिम बंगाल में होने वाली हिंसा को लेकर प्रदेश की ममता सरकार विपक्षियों के निशाने पर रहती है।
बंगाल चुनाव 2021 में बीजेपी ने टीएमसी को कड़ी टक्कर देने का दावा किया था लेकिन टीएमसी ने बेहतरीन जीत हासिल की और ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार भी बना ली है। उसके बाद से प्रदेश की सियासत में हलचलें काफी तेज है। इसी बीच कोरोना के कहर के साथ-साथ यास चक्रवात ने भी पश्चिम बंगाल में तबाही मचा दी।
जिसके बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया था। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन्हें रिसीव करने नहीं पहुंची और न ही उनके साथ मीटिंग में हिस्सा लिया।
सीएम बनर्जी और उनके तब के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपध्याय काफी देरी से मीटिंग में पहुंचे और तुरंत चले भी गए। जिसके बाद से ही प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार जारी है। इसी बीच ममता बनर्जी के आरोपों पर पीएमओ की ओर से पलटवार किया गया है।
दोनों पक्ष एक दूसरे पर हमलावर
- पश्चिम बंगाल की लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाली ममता बनर्जी का कहना है कि उन्हें पीएम मोदी के कार्यक्रम और मीटिंग की जानकारी काफी देरी से मिली। जिसके बाद उन्होंने अपना शेड्यूल कम किया। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि पीएम की यात्रा साइक्लोन यास के डैमेज को लेकर थी, ऐसे में तूफान से पहले इसे फिक्स नहीं किया जा सकता है।
- सीएम बनर्जी का कहना है कि उनके कार्यक्रम पहले से तय थे। जरुरी नहीं है कि हर बार सीएम ही पीएम को रिसीव करे, उसके अपने कार्यक्रम भी होते हैं। तो वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि ममता बनर्जी ने पीएम के साथ मीटिंग में शामिल होने की बात की थी लेकिन विपक्षी नेता के शामिल होने पर वह मुकर गई।
- ममता का कहना है कि उन्हें पीएम मोदी का हेलिकॉप्टर लैंड करने से पहले 20 मिनट इंतजार करना पड़ा। जिस पर केंद्र की ओर से कहा गया कि उनसे उम्मीद की जाती है कि वो पहले ही वहां मौजूद रहें।
- सीएम बनर्जी ने कहा कि मैंने पीएम के लिए इंतजार किया। जिस पर केंद्र ने जवाब देते हुए कहा है कि पीएम कलईकुंडा में 1.59 बजे लैंड किए, जबकि ममता बनर्जी दोपहर 2.10 बजे वहां पर लैंड की। ये साफ होता है कि पीएम को ही इंतजार करना पड़ा।
- टीएमसी चीफ का कहना है कि पीएम-सीएम की मीटिंग में एक लोकल विधायक को शामिल किया गया। जिस पर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि जिस पर आपत्ति है वह लोकल नेता नहीं बल्कि विधानसभा में विपक्ष का नेता हैं।
- ममता बनर्जी का कहना है कि उन्होंने मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी के साथ प्रवेश किया। पीएम को रिपोर्ट दी और उनसे परमिशन लेकर दीघा के लिए रवाना हुई। इस पर केंद्र सरकार का कहना है कि पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को बैठक छोड़ने की परमिशन नहीं दी थी।
- चीफ सेक्रेटरी पर केंद्र के एक्शन से बौखलाई ममता बनर्जी का कहना है कि चीफ सेक्रेटरी को लेकर जारी आदेश से वह चकित हैं, इसमें राज्य सरकार से कोई सलाह नहीं ली गई। ये संविधान का उल्लंघन है। जिस पर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है चीफ सेक्रेटरी ऑल इंडिया कैडर के ऑफिसर हैं। उन्होंने अपनी संवैधानिक ड्यूटी का पालन नहीं किया, ऐसे में पीएम को कोई प्रेंजेटेशन नहीं दी गई और ना ही बंगाल सरकार का कोई व्यक्ति मीटिंग में रहा।
- ममता ने कहा कि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने चीफ सेक्रेटरी का कार्यकाल बढ़ाया, दोनों पक्षों की रजामंदी के बाद ये फैसला लिया गया जबकि केंद्र ने राज्य सरकार के साथ मिलकर फैसला लेने की बात कही।
- सीएम बनर्जी का कहना है कि चीफ सेक्रेटरी ने मीटिंग से पहले ही इस बारे में पीएम के सहयोगी अधिकारी को बताया गया लेकिन उस तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया जबकि केंद्र कहता है कि ममता बनर्जी ने सिर्फ विपक्ष के नेता के कारण बैठक का बॉयकॉट किया।