उत्तर प्रदेश में सीएम योगी की टीम-9 का हिस्सा रहे अपर मुख्य सचि अवनीश कुमार के पिता आदित्य कुमार अवस्थी का एक हफ्ते पहले निधन हो गया था। बीते सोमवार को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वो कोरोना महामारी का शिकार हो गए थे और इस वायरस से जिंदगी की जंग हार गए।
कोरोना से जंग हार गए आदित्य कुमार अवस्थी
आदित्य कुमार अवस्थी के निधन के अब कुछ दिनों बाद उनकी बहू और मशहूर लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने एक बेहद ही भावुक पोस्ट लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दीं। मालिनी अवस्थी ने अपने ससुर जी की याद में बेहद ही लंबा और इमोशनल पोस्ट फेसबुक पर लिखा, जिसमें उन्होंने अपने ससुर जी आदित्य कुमार अवस्थी के व्यक्तित्व के बारे में बताया।
याद में मालिनी अवस्थी ने लिखा इमोशनल पोस्ट
मालिनी अवस्थी लिखती हैं- “वो बेहद विनम्र, सज्जन, सरल, विद्वान और बेहद अनुशासित थे। उनका कठोर अनुशासन खुद के लिए था, दूसरों की नियम निजता का उनके मन में सम्मान था। हर परिवार में कोई एक होता है, जो सबको साथ लेकर आगे बढ़ता है। ऐसे ही थे हमारे ससुर जी! और जो बात उन्हें महान बनाती थी, वो ये कि वो कभी इस पर बात नहीं करना चाहते थे।” मालिनी ने अपनी भावुक पोस्ट में ये भी बताया कि कैसे उनके ससुर जी ने घर की सारी जिम्मेदारियों को अच्छे संभाला
मालिनी अवस्थी ने इस पोस्ट में अपने ससुर जी के साथ पहली मुलाकात का जिक्र किया। उन्होंने बताया- “आशीर्वाद देते हुए ससुर जी ने माता पिता के सामने ही हाथ जोड़ लिए और कहा कि देखिए, तीन बेटे हैं हमारे, एक बेटी की बड़ी इच्छा थी जो पूरी नहीं हुई, हमारी तो बहू ही हमारी बेटी होगी।”
मालिनी आगे बताती है कि कैसे उनके ससुर जी का जीवन बच्चों को ही समर्पित था। उन्होंने अपने बेटों को लायक बनाया, लेकिन फिर भी वो काफी खुद्दार थे। मालिनी लिखती हैं- “तीन कामयाब बेटे होने के बावजूद हमारे ससुर जी अपनी पहचान के लिए अडिग थे। खुद अपनी गाड़ी चलाना, खुद अपना काम करना। यहां तक कि 94 की उम्र में भी खुद फोन और बिजली के बिल जमा करने दफ्तर जाना।”
मालिनी बताती है कि कैसे उन्होंने शादी के बाद ससुराल में भी संगीत के सफर को जारी रखा। उन्होंने लिखा- “जब मैं बहू बन कर आई तो ससुर जी जानते थे कि मैं गाती हूँ, और सार्वजनिक कार्यक्रम देती हूं। उनको लगा कि शादी की वजह से मेरा संगीत छूट जाएगा। लेकिन जब उन्होंने देखा कि मैं संगीत के मुकाम के लिए संघर्षरत हूं। तो उनको ये चिंता हो गई कि अगर मैं संगीत में लगी रही, तो घर-परिवार कौन देखेगा। मेरी ससुराल में गीत संगीत का कोई माहौल नहीं था, ये मुझे जानती थी। मैंने अपने परिवार को तरजीह देते हुए संगीत की लौ जगाए रखी। एक वक्त ऐसा भी आया जब मेरे ससुर जी ने मेरे हर प्रयास, हर संघर्ष, हर कार्यक्रम, के साक्षी बने।”
मालिनी आगे भावुक होते हुए लिखती है- “मुझे इस बात का संतोष है कि मुझे उनका बहुत प्यार और आशीष मिला। खाने की टेबल पर बैठकर जब वो अतीत को बातें साझा करते थे, तो मैं उन्हें सुना करती थी। आज वो कुर्सी खाली पड़ी है। सब ठीक रहता, तो इस साल जून में अम्मा और पिताजी की शादी की साठवीं सालगिरह मनती। पिछले साल इसी महीने मैनें पिताजी को खोया था। मेरे लिए एक के बाद दूसरा आघात है।”
बता दें कि मालिनी अवस्थी एक लोक गायिका हैं। वो अवधी, बुंदेली भाषा और भोजपुरी में गीत गाती हैं। साथ में मालिनी ठुमरी और कजरी में भी गाती हैं। 2016 में उन्हें सरकार की तरफ से पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। मालिनी देश के साथ दुनिया के अलग-अलग देशों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यकर्मों में भी हिस्सा ले चुकी हैं।