कुछ दिन पहले
देश के मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर एक विस्फोटक सामान से
भरी कार मिलीं थीं, जिसके बाद मायानगरी मुंबई में हड़कंप मच गया। आखिर किसने,
क्यों और किस मकसद से अंबानी के घर के बाहर वो गाड़ी रखीं, ये सवाल तेजी से उठने
लगे। पहले इस मामले की जांच मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपी गईं। लेकिन जब
इसमें NIA की एंट्री
हुई, तो अब महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ही मामले को लेकर बुरी तरह से घिर चुकी हैं।
महाराष्ट्र
सरकार की बढ़ी फजीहत
मामले की जांच में कई ऐसे ट्विस्ट आए,
जिसने हर किसी को चौंका कर रख दिया। पहले मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत, उसके बाद
सचिन वाजे की गिरफ्तारी, फिर परमबीर सिंह को मुंबई कमिश्नर से हटाना और अब इस
मामले की जांच की वजह गृह मंत्री अनिल देशमुख की कुर्सी पर ही खतरा मंडराने लगा
है। बीते दिन मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह का एक लेटर सामने आया है, जिसमें
उन्होनें अनिल देशमुख पर कई संगीन आरोप लगाए हैं।
परमबीर
सिंह की चिट्ठी पर बवाल
परमबीर सिंह की इस चिट्ठी से
महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को
लिखी चिट्ठी में परमबीर सिंह के आरोपों के मुताबिक गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उनके
टीम मेंबर सचिन वाजे को बार और हुक्का पार्लरों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की
उगाही करने का टारगेट दिया था। अब ये आरोप इतने गंभीर है, तो इस पर बवाल तो मचना
लाजमी है हीं। इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी महाविकास अघाड़ी गठबंधन पर हमलावर है
और अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग तेज करती जा रही हैं। वहीं महाराष्ट्र सरकार की
तरफ से इस पूरे मामले को लेकर बचाव करने की कोशिशें भी जारी हैं।
लगातार
विवादों में बनीं हुई उद्धव सरकार
इस पूरे मामले की वजह से ना सिर्फ
मुंबई पुलिस बल्कि महाराष्ट्र सरकार की छवि भी काफी खराब होती नजर आ रही हैं। ऐसे
में सवाल ये उठने लगा है कि अब महाराष्ट्र सरकार का आगे क्या होगा? शिवसेना ने 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी
से अपना गठबंधन तोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई थीं। तीन पार्टियों के
गठबंधन से बनी सरकार को अभी एक साल से कुछ महीने का ही वक्ता हुआ है। जब से
महाविकास अघाड़ी की सरकार सत्ता में आई, तब से ही किसी ना किसी वजह से ये विवादों
में घिरी हैं।
पहले सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले
में भी सरकार की काफी फजीहत हो चुकी हैं। लेकिन इस बार मामला काफी गंभीर है। अनिल
देशमुख एनसीपी से हैं, लेकिन उन पर लगे इन आरोपों से एनसीपी के साथ साथ शिवसेना की
भी छवि काफी खराब हुईं। ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या शिवसेना को दूसरी पार्टियों
से हाथ मिलना भारी पड़ गया? कैसे इस मामले
में पार्टी अपना बचाव करेगी? क्या इस पूरे
मामले को लेकर एनसीपी और शिवसेना में दूरी आएगी? महाराष्ट्र सरकार का भविष्य क्या होगा…ये सबसे बड़ा सवाल
बना हुआ है। देखना होगा कि ये पूरा मामला आगे क्या मोड़ लेता है।