देश के लगभग कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों में प्रदेश सरकार और राज्यपाल/उप-राज्यपाल के बीच रिश्ते कुछ ठीक नहीं है। टीएमसी शासित पश्चिम बंगाल में स्थिति पिछले कुछ सालों से ऐसी ही बनी हुई है। दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच रिश्ते पब्लिक डोमेन में है। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री को उप-राज्यपाल से मुक्ति पाने के लिए अनशन पर बैठना पड़ रहा है।
इसी बीच महा विकास अघाड़ी शासित महाराष्ट्र से भी कुछ ऐसी ही खबर सामने आई है। महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच रिश्ते काफी पहले से ही तल्ख रहे हैं। लेकिन अब यह विवाद बढ़ता दिख रहा है। आज कुछ ऐसा हुआ कि राज्यपाल को सरकारी प्लेन से उतरना पड़ा और उन्हें दूसरे प्लेन से अपने दौरे पर जाना पड़ा।
आधे घंटे VIP जोन में बैठे रहे भगत सिंह कोश्यारी
बताया जा रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से राज्यपाल को सरकारी जहाज इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी गई थी। राज्यपाल को उत्तराखंड के मसूरी में आईएएस एकेडमी में होने वाले एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था।
खबरों के मुताबिक फ्लाइट में बैठके के बाद गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को उतरना पड़ा और अब वह निजी फ्लाइट के से मसूरी गए। बताया जा रहा है कि राज्यपाल लगभग आधे घंटे तक वीआईपी जोन में बैठे रहे, जिसके बाद उन्होंने सरकारी विमान इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया।
राजभवन से सामने आई प्रतिक्रिया
इस पूरी घटना पर राजभवन की ओर से बयान सामने आया है। राजभवन की ओर से कहा गया कि ‘2 तारीख को राज्य सरकार को ये जानकारी दी गई थी कि राज्यपाल जानेवाले हैं। इस सिलसिले में जितने लोगो को भी इंटीमेट करना होता है सभी को जानकारी दी थी, सीएम से लेकर एविएशन और प्रिंसिपल/चीफ सेक्रेटरी। हमें राज्य सरकार की ओर से इस दौरान कभी भी इंटिमेट नहीं किया गया कि ये यात्रा नहीं कि जा सकती।‘ बताया जा रहा है कि सरकार प्लेन में बैठने के बाद कहा गया कि ये यात्रा नहीं हो पाएगी। जिसके बाद राज्यपाल ने दूसरे प्लेन का टिकट लिया और यात्रा की।
शुरु से ही तल्ख रहे हैं रिश्ते
बता दें, महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार और राज्यपाल के बीच रिश्ते शुरु से ही कुछ ठीक हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के बाद शिवसेना और बीजेपी के रास्ते अलग हो गए थे। लेकिन बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना लिया और देवेंद्र फडणवीस ने गुपचुप शपथ भी ले लिया था। तब भी राज्यपाल के रोल को लेकर सवाल उठे थे।
हालांकि, सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद एनसीपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया और फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। इस दौरान शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निशाने पर लिया था।
वहीं, कुछ महीने पहले राज्यपाल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम एक व्ययंगात्म पत्र लिखा था। जिसमें कोरोना काल में पूजा स्थलों को नहीं खोले जाने को लेकर टिप्पणी की गई थी। जिसे लेकर महाराष्ट्र की सियासत में बवाल भी मचा था।