किसान आंदोलन की गूंज अब देश के साथ विदेशों तक पहुंच चुकी है। विदेश के कई सेलिब्रिटी किसान आंदोलन को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे हैं। पिछले दिनों पॉप सिंगर रेहाना ने किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किया था और कहा था हम इस मुद्दे पर बात क्यों नहीं कर रहें?
रेहाना के ट्वीट करने के बाद कुछ अन्य विदेशी सेलिब्रिटियों ने भी ट्वीट किया था। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि जल्दीबाजी में कमेंट करने से पहले तथ्यों की जांच की जानी चाहिए। उसके बाद भारत के कई बड़े अभिनेता, सिंगर और क्रिकेटरों ने भारत के आंतरिक मामलों में बोलने वालों पर जबरदस्त पलटवार किया था और प्रतिक्रिया दी थी।
खबरों के मुताबिक अब बॉलीवुड-खेल से जुड़ीं विभिन्न हस्तियों द्वारा ट्वीट्स किए जाने के मामले में उद्धव सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। महाराष्ट्र सरकार ने इन सेलिब्रिटीज द्वारा ट्वीट्स किए जाने को लेकर जांच के आदेश दिए हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इस मामले पर विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिक्रिया देने के बाद बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, अजय देवगन, लता मंगेशकर, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, भारतीय कप्तान विराट कोहली समेत कई हस्तियों ने ट्वीट्स किए थे। इन ट्वीट्स में उन्होंने इंडिया टुगेदर और इंडिया अगेंस्ट प्रोपेगैंडा के हैशटैग भी लगाए थे। इन ट्वीट्स की शिकायत कांग्रेस ने की थी और आरोप लगाया था कि ज्यादातर ट्वीट्स का एक ही पैटर्न था।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी सितारों के ट्वीट्स को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को उसके रुख के समर्थन में ट्वीट करने के लिए नहीं कहना चाहिए था और उनकी प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगाना चाहिए था। अब उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रॉलिंग का सामना करना पड़ेगा।
महाराष्ट्र सरकार ने इंटेलिजेंस विभाग को काम पर लगाया
अब महाराष्ट्र सरकार ने इन ट्वीट्स की जांच के लिए इंटेलिजेंस विभाग की टीम को लगा दिया है। खबरों के मुताबिक विभाग इस बात की जांच करेंगा कि क्या इन सितारों ने किसी के दबाव में आकर ट्वीट किए थे? बता दें, दिल्ली की बॉर्डरों पर किसान पिछले 74 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को वापस करने की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 11 दौरे की बातचीत भी हो चुकी है। उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले कुछ ही दिनों में किसान नेता और सरकार के बीच में बैठक हो सकती है और इस मामले का समाधान निकालने का प्रयास भी किया जा सकता है।