Mahakumbh Muslim Entry Controversy: प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ का आयोजन इस बार विवादों के बीच घिरता नजर आ रहा है। जहां करोड़ों श्रद्धालु इस धार्मिक पर्व में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं साधु-संतों और हिंदू संगठनों द्वारा महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री और व्यापार पर रोक लगाने की मांग ने इसे एक नई बहस का केंद्र बना दिया है।
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कैफ की डुबकी और महाकुंभ विवाद- Mahakumbh Muslim Entry Controversy
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने संगम में डुबकी लगाकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में कैफ अपने बेटे के साथ प्रयागराज के संगम में तैराकी करते दिखे। उन्होंने मजाकिया अंदाज में लिखा, “अबे इसी जमुना जी में तैराकी सीखा हूं।”
Abe isi Jamuna ji mein tairaki seekha hoon 😀 #sangam #prayagraj pic.twitter.com/yVs67yJMWb
— Mohammad Kaif (@MohammadKaif) December 29, 2024
कैफ के इस वीडियो ने विवाद को और हवा दे दी, क्योंकि इसी दौरान महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री पर बैन की मांग चर्चा का विषय बनी हुई है।
Best decision by Dheerendra Shastri ji
Ban on muslims in Mahakumbh pic.twitter.com/Kfue5hCpIG
— 🥀🌹N𝖆𝖓d𝖚 H𝔦𝔫d𝔲🌹🥀 (@nair_nandu08) November 5, 2024
महाकुंभ में मुसलमानों को ना दी जाए दुकान।
: अखाड़ा परिषद
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा,
खाने में थूक की घटनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला।
ऐसी किस भी घटना से बिगड़ सकता है कुंभ मेले का स्वरूप।
अखाड़ा परिषद का मानना है कि हाल-फिलहाल में कई ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई हैं… pic.twitter.com/QRUHgvinsc
— Panchjanya (@epanchjanya) November 2, 2024
महाकुंभ में मुस्लिमों पर बैन की मांग
महाकुंभ में मुस्लिमों को शामिल होने से रोकने की मांग बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और अन्य हिंदू संगठनों ने की है। उनका तर्क है कि महाकुंभ हिंदू धर्म का पवित्र आयोजन है और इसमें मुस्लिमों की मौजूदगी इस पवित्रता को प्रभावित कर सकती है।
कुछ साधु-संतों ने इसे “थूक और यूरीन जिहाद” की हालिया घटनाओं से भी जोड़ा है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं में मुसलमानों की संलिप्तता के आरोप लगे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम बनाए जाने चाहिए कि महाकुंभ में ऐसी घटनाएं न हों।
प्रशासन और सरकार का रुख
प्रयागराज के अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने इस विवाद को “भ्रामक खबर” करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
हालांकि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने मुस्लिम व्यापारियों को महाकुंभ में दुकानें लगाने से रोकने की मांग की है। इसके समर्थन में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री समेत अन्य धर्माचार्य भी सामने आए हैं।
महाकुंभ का ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ
महाकुंभ का आयोजन भारतीय समाज में विविधता और समावेशिता का प्रतीक रहा है। इतिहास के अनुसार, कुम्भ मेला न केवल हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध, जैन और सिख समुदायों के लिए भी एक मंच रहा है। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने कुम्भ मेले का उल्लेख किया था, जब सम्राट हर्षवर्धन ने अपना सब कुछ दान कर दिया था।
यहां तक कि तैमूर लंग के हमले के दौरान भी कुम्भ की परंपरा पर असर पड़ा, लेकिन धार्मिक विविधता पर कभी सवाल नहीं उठे।
मुस्लिम व्यापारियों पर रोक का तर्क
ऐतिहासिक रूप से, कुम्भ मेले में व्यापारियों की अहम भूमिका रही है। वर्तमान में, कई धर्मगुरु यह तर्क दे रहे हैं कि मक्का में हिंदुओं के प्रवेश पर रोक है, तो महाकुंभ में मुस्लिमों को क्यों आने दिया जाए?
हालांकि, यह तर्क संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों से टकराता है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह के प्रतिबंध सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
विवाद का बढ़ता प्रभाव
महाकुंभ में मुस्लिमों पर बैन की मांग ने धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है। एक तरफ जहां हिंदू संगठनों का एक वर्ग इसे महाकुंभ की पवित्रता बनाए रखने की कोशिश बता रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसे समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने का प्रयास कहा जा रहा है।
प्रयागराज का महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समावेशिता का प्रतीक भी है। ऐसे में मुस्लिमों की एंट्री पर रोक की मांग न केवल कुम्भ मेले की परंपरा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज में धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने का खतरा भी पैदा करती है।
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