कोरोना की दूसरी लहर ने देश में भारी तबाही मचाकर रख दी है। संक्रमितों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है। हजारों की संख्या में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। इस साल की शुरुआत में जब कोरोना के मामले घट रहे थे और वैक्सीनेशन भी शुरू हो चुका था, तो ऐसा लगने लगा था मानो अब भारत जल्द ही इस महामारी को हरा देगा। लेकिन कोरोना पहले से भी ज्यादा खतरनाक रूप लेकर लौटा।
कोरोना की सेकेंड वेव से निपटने के लिए सरकारों ने पर्याप्त इंतेजाम नहीं किए, जिसके चलते मरीजों को अब बेड्स, ऑक्सीजन समेत दवाईयों के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है।
बढ़ते केस के बीच जारी रही रैलियां, रोड शो
कोरोना की दूसरे लहर की कई वजहें मानी जा रही है। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि कोरोना का नया वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है, जिसके चलते अब ये कंट्रोल में नहीं आ रहा। वहीं कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि जब देश में संक्रमण की रफ्तार कम होने लगी, तो लोगों ने लापरवाही बरतना शुरू किया। कोरोना के नियमों का पालन करना छोड़ दिया, जिसकी वजह से अब हालात इतने बिगड़ गए।
लेकिन बड़ी संख्या में लोग चुनाव के लिए भी इसे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जब देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते मामले बढ़ने शुरू हुए, तो सरकार ने उस पर इतना ध्यान नहीं दिया। यही नहीं जब देश में तेजी से कोरोना पैर पसार रहा था, तब भी बंगाल समेत अलग अलग राज्यो के चुनावों को लेकर नेताओं की रैलियां, रोड शो जारी रहे, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। तब चुनाव आयोग ने इस पर कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया।
मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को खूब लताड़ा
अब इस मामले पर आज यानि सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट ने एक सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट की तरफ से चुनाव आयोग को जमकर फटकार लगाई गई। यही नहीं कोर्ट ने तो कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।
कोर्ट ने कहा कि कोरोना की सेकेंड वेव के लिए अगर किसी एक को जिम्मेदार ठहराना हो तो वो अकेले चुनाव आयोग होगा। ये जानते हुए कि कोरोना संक्रमण अभी देश में चल रहा है, इसके बाद भी रैलियों पर रोक नहीं लगाई गई। इसके लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का केस चलाया जाए तो गलत नहीं होगा.
इसके जवाब में कोर्ट में चुनाव आयोग ने जवाब देते हुए कहा कि उनकी तरफ से कोविड की गाइडलाइंस का पालन किया गया। वोटिंग के दिन पर नियमों का पालन किया गया। आयोग के इस जवाब से जज नाराज हो गए और उन्होंने पूछा कि जब प्रचार हो रहा था तब क्या चुनाव आयोग दूसरे प्लनेट पर था?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ा मामला काफी अहम है। चिंता इस बात की है कि ये भी अदालत को ही याद दिलाना पड़ रहा है। अभी ऐसे हालात हो गए हैं कि जिंदा रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है और ऐसे में भी चुनाव आयोग ने रैलियों पर रोक नहीं लगाई।
‘…नहीं तो रोक देंगे मतगणना’
यही नहीं कोर्ट की तरफ से वोटिंग की गिनती के दिन यानि 2 मई के लिए भी वॉर्निंग मिली है। कोर्ट ने साफ तौर पर आयोग से कहा है कि 2 मई को कोविड से जुड़ी गाइडलाइंस और उससे जुड़े ब्लू प्रिंट तैयार नहीं करके दिया गया, तो मतगणना पर रोक लगा दी जाएगी। मद्रास हाई कोर्ट की तरफ से आयोग को ये निर्देश दिया गया कि वो स्वास्थ्य सचिव के साथ मिलकर मतगणना के लिए प्लान बनाएं। इसके लिए हाई कोर्ट की तरफ से 30 अप्रैल तक का वक्त दिया गया है।
गौरतलब है कि बीते दिनों से पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। इसमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और असम शामिल थे। पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों में चुनाव के लिए वोटिंग पहले ही हो चुकी है। बंगाल में भी 29 अप्रैल को मतदान खत्म हो जाएंगे। इन सभी राज्यों के चुनाव के नतीजे 2 मई को घोषित किए जाने हैं।
चुनावों को लेकर इन राज्यों में हर पार्टी ने खूब प्रचार प्रसार किया। इस दौरान कोविड की गाइडलाइंस की जमकर धज्जियां उड़ती हुई नजर आई। रैलियों, रोड शो में शामिल लोगों के मुंह पर मास्क दूर दूर तक नहीं दिखा। सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ी। कोरोना की बेकाबू रफ्तार के पीछे एक वजह ये चुनाव भी माने जा रहे हैं।