जब से ही मोदी सरकार सत्ता में आई है, विपक्ष सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप केंद्र पर लगाता रहता है। विपक्षी नेता आरोप लगाते हैं कि सरकार इन एजेंसियों के जरिए डराने का काम करती है। जिस तरह से पिछले कुछ सालों में विपक्षी नेताओं पर एजेंसियों ने खिलाफ केस दर्ज कर जांच आगे बढ़ रही है, उस पर तमाम नेता कहते हैं कि सीबीआई समेत तमाम एजेंसियां केंद्र सरकार के हाथों का पॉलिटिकल टूल बन गया है।
हाई कोर्ट ने सीबीआई पर दिया बड़ा बयान
अब इस बीच मद्रास हाई कोर्ट ने भी सीबीआई को लेकर ऐसा ही एक बड़ा बयान दिया है। हाई कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे का ‘तोता’ बताया है और साथ ही कहा कि एजेंसी को बड़े अधिकारी और ज्यादा ताकतों के साथ वैधानिक दर्जा दिया जाए, जिससे सीबीआई ज्यादा स्वतंत्र हो सके और चुनाव आयोग और CAG की तरह स्वतंत्र होकर काम करें। कोर्ट ने कहा कि CBI प्रमुख को संबंधित मंत्री या प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करना चाहिए।
अदालत ने मदुरै खंडपीठ ने 300 करोड़ रुपये की कथित वित्तीय धोखाधड़ी की CBI जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ये आदेश ‘पिंजरे के तोते’ को रिहा करने की कोशिश है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा ये
बता दें कि मंगलवार 17 अगस्त को मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस एन. किरूबकारन और जस्टिस बी. पुगालेंधी वाली पीठ ने सुनवाई की थी। ये मामला चिटफंड के एक मामले में CBI जांच की मांग से जुड़ा हुआ था। CBI ने कोर्ट में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि उसके काम में कई अड़चने हैं, जैसे एजेंसी के पास स्टाफ की भी भारी कमी है।
CBI की तरफ से ये बात सुनने के बाद कोर्ट ने इस पर चिंता जाहिर की और कहा कि जब भी कोई ऐसा मामला सामने आता है, जो संवेदनशील हो, तो उसमें मांग CBI जांच की होने लगती है। लोग ऐसा मानते हैं कि स्थानीय पुलिस ठीक से मामलों की जांच नहीं करती। जांच की जब मांग की जा रही है, तो ये दुखद है कि CBI अपने पैर पीछे खींच रही है। एजेंसी कह रही है कि उसके पास लोगों और संसाधनों की कमी है, जिस वजह से वो जांच नहीं कर सकती है। कोर्ट के सामने उसके पास ये रटा रटाया जवाब होता है।
मद्रास हाईकोर्ट ने चिटफंड घोटाले के मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को तो खारिज कर दिया, लेकिन साथ ही CBI की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ बड़े निर्देश दिए। हाई कोर्ट ने मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करते हुए अपने 12 सूत्री निर्देशों देते हुए कहा कि ये आदेश ‘पिंजरे’ में बंद तोते सीबीआई को रिहा करने का प्रयास है।
सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है ऐसा बयान
वैसा ऐसा पहली बार नहीं जब सीबीआई को लेकर इस तरह का बयान कोर्ट से दिया गया हो। इससे पहले शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने भी साल 2013 सीबीआई एक मामले की सुनवाई करते हुए “पिंजरे के तोते” के रूप में वर्णित किया था। तब फर्क यही था कि विपक्ष में बीजेपी थी और सत्ता में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार। उस दौरान भी बीजेपी ने एजेंसी पर सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था।