बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में हालात कुछ ठीक नहीं है। बाढ़ से राज्य के कई इलाकों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। चंबल नदी उफान पर है और लगभग हर रोज हो रही बारिश ने स्थिति को और खराब कर दिया है। शिवराज सरकार की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही है कि प्रदेश में बने इन हालातों को बेहतर किया जा सके। इसी बीच बीजेपी के एक विधायक आ अटपटा बयान सामने आया है। उन्होंने राज्य में आई बाढ़ के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के कारण मध्यप्रदेश में बाढ़ आई है।
विधायक ने दिया अपना तर्क
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा के बयान पर सियासत तेज हो गई है। राज्य में 17 सालों से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है, उसके बावजूद बीजेपी विधायक ने बाढ़ के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। इसके पीछ अपना तर्क देते हुए बीजेपी विधायक ने कहा, अगर यूपीए सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नदी जोड़ो अभियान को ना रोकती तो इस तरह की आपदा नहीं आती। उन्होंने कहा कि इस तरह की आपदा के लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है।
वहीं, प्रदेश में 17 सालों से बीजेपी की सरकार को लेकर किए गए सवाल के जवाब में बीजेपी विधायक ने कहा, इस दौरान 10 सालों तक केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी। जिसने इस अभियान को आगे नहीं बढ़ने दिया। रामेश्वर शर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार इसे लेकर अब काम कर रही है।
कांग्रेस का पलटवार
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी विधायक के इस बयान पर जोरदार प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का बेतुका बयान सामने आया है। अब बीजेपी को जल्द ही अच्छे चिकित्सकों से इन सभी का इलाज करवाना चाहिए।
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने बाढ़ को लेकर शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्विट करते हुए लिखा, जब शिव’राज को आपदा प्रबंध करना था, तब वह सरकारी बैठकों की औपचारिकता निभा रहे थे! जब पीड़ितों के साथ खड़ा होना था, वह दिल्ली में नेताओं से गुफ्तगू कर रहे थे!
वाजपेयी शुरु करने वाले थे नदीं जोड़ो अभियान
बताते चले कि देश में साल 2002 में भयानक सूखा पड़ा था। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बड़े फैसले लिए थे। उन्हीं में से नदियों को आपस में जोड़ने का काम भी शामिल था। उन्होंने नदियों को आपस में जोड़ने के काम की व्यवहारिकता परखने के लिए एक कार्यदल का गठन किया था।
पीएम को उसी साल रिपोर्ट भी सौंप दी गई थी। इस रिपोर्ट में गंगा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई। जिसका इस्तेमाल सिंचाई और बिजली परियोजना के लिए होना था लेकिन साल 2004 में यूपीए की सरकार आ गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उसके बाद से यूपीए-2 के कार्यकाल में भी इस पर कोई विचार नहीं हुआ।
मोदी सरकार ने अब इस पर विचार करना शुरु किया है। हाल ही में नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी ने देश में 31 नदी जोड़ों परियोजनाओं को प्रस्तावित की है। इस प्रोजेक्ट की कीमत लगभग 45 हजार करोड़ है। इसकी शुरुआत कर बीजेपी सरकार ने अटल बिहार वाजपेयी के एक और सपने को साकार करने की ओर कदम बढ़ा दिया है।