Lucknow Adulterated tea seized: लखनऊ के फैजुल्लागंज क्षेत्र में एसटीएफ (Special Task Force) और एफएसडीए (Food Safety and Drug Administration) की संयुक्त कार्रवाई में मिलावटी चायपत्ती बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। मंगलवार को की गई इस छापेमारी में 112 क्विंटल मिलावटी चायपत्ती, सिंथेटिक रंग, हार्ड स्टोन पाउडर (गेरू), और लकड़ी के बुरादे सहित भारी मात्रा में सामग्री बरामद हुई। यह मिलावटी चाय राजधानी सहित आसपास के जिलों में खपाई जा रही थी।
कैसे पकड़ा गया गिरोह? (Lucknow Adulterated tea seized)
एसटीएफ को लंबे समय से फैजुल्लागंज के कृष्णलोक कॉलोनी में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिल रही थी। मंगलवार को एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में एफएसडीए की टीम ने इस इलाके में छापेमारी की।
टीम ने मौके पर मिलावटी चायपत्ती बनाने के पूरे सेटअप का खुलासा किया। छापेमारी के दौरान गिरोह के मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ को गिरफ्तार किया गया। आरिफ मूल रूप से सीतापुर जिले के बिसवां क्षेत्र के काजी टोला कस्बे का निवासी है।
कैसे बनती थी मिलावटी चायपत्ती?
आरिफ और उसके गिरोह के सदस्यों ने चायपत्ती बनाने का एक खतरनाक तरीका अपनाया था।
- कच्चा माल: वे सस्ती और खराब गुणवत्ता की चायपत्ती असम, नेपाल और अन्य राज्यों से मंगवाते थे।
- मिलावट: इस चायपत्ती में वजन बढ़ाने के लिए लकड़ी का बुरादा, वॉशिंग पाउडर, सिंथेटिक रंग, और हार्ड स्टोन पाउडर (गेरू) मिलाते थे।
- पैकिंग: तैयार की गई चायपत्ती को नामी ब्रांड्स जैसे गार्डन फेस, टाइगर चाय, असम गोल्ड और गुड मॉर्निंग असम के नकली पैकेट्स में पैक किया जाता था।
बरामद सामग्री
छापेमारी के दौरान टीम को भारी मात्रा में मिलावटी सामग्री मिली।
- 112 क्विंटल मिलावटी चायपत्ती
- 30 किलो सिंथेटिक रंग
- 6 पैकेट हार्ड स्टोन पाउडर (गेरू)
- चार इलेक्ट्रॉनिक तराजू और चार पैकिंग मशीन
- गैस चूल्हा और सिलेंडर
- नामी ब्रांड्स के नकली पैकेट्स
- 12,500 रुपये नकद और एक मोबाइल फोन
गिरोह का नेटवर्क और संचालन
पूछताछ में आरिफ ने खुलासा किया कि यह गोरखधंधा पिछले चार सालों से चल रहा था। इस दौरान गिरोह ने लखनऊ के अलावा बाराबंकी, सीतापुर, शाहजहांपुर, बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, और श्रावस्ती जैसे जिलों में अपना नेटवर्क फैला लिया था।
गिरोह के अन्य सदस्यों में आरिफ का भाई और एक रिश्तेदार भी शामिल हैं। आरिफ का भाई बहराइच में चायपत्ती कंपनी की एजेंसी में काम करता है, जहां से वह इस नकली माल को खपाने में मदद करता था।
स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा
मिलावटी चायपत्ती में इस्तेमाल किए गए रसायन और लकड़ी के बुरादे जैसे तत्व बेहद खतरनाक हैं।
- सिंथेटिक रंग और वॉशिंग पाउडर: ये रसायन पेट में जाने पर लिवर, किडनी और अन्य अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- लकड़ी का बुरादा: यह पाचन तंत्र के लिए खतरनाक है और कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
डॉ. सुमित रुंगटा, विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग, ने कहा, “ऐसे पदार्थ स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। इनसे लिवर और किडनी खराब होने के साथ ही कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।”
प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
तीन मंजिला मकान में इतने बड़े पैमाने पर मिलावटी चायपत्ती बनाने का कारोबार चल रहा था, लेकिन स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यह घटना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
एसटीएफ की कार्रवाई के बाद अब यह जांच हो रही है कि इस गोरखधंधे में और कौन-कौन शामिल हैं और क्या स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत थी।
आगे की कार्रवाई
गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। इसके अलावा, एसटीएफ यह भी जांच कर रही है कि गिरोह किन एजेंटों और कंपनियों के माध्यम से इस नकली माल को खपाता था।
लखनऊ में पकड़ा गया यह मामला न केवल जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही का भी बड़ा उदाहरण है।
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