प्लाज्मा थेरेपी…इसका इस्तेमाल अब तक कोरोना के इलाज में काफी ज्यादा किया जा रहा था। सोशल मीडिया पर भी आप देखते होंगे, कई लोग प्लाज्मा की मांग करते हुए नजर आते थे। लेकिन अब इस प्लाज्मा थेरेपी का कोरोना के इलाज में नहीं हो पाएगा।
क्यों लगाई गई इस्तेमाल पर रोक?
जी हां, सरकार ने सोमवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना इलाज से बाहर कर दिया है। इसको लेकर आपके मन में भी कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर ये फैसला क्यों लिया गया? जिस प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल अब तक कोरोना मरीजों के इलाज में खूब किया जा रहा, उस पर रोक लगाने की आखिर वजह क्या है? आइए इसके बारे में आपको बताते हैं…
दरअसल, ये थेरेपी कोरोना मरीजों पर फायदे होने के सबूत नहीं मिले। बीते हफ्ते कोरोना के लिए बनी नेशनल टास्क फोर्स और ICMR के बीच एक मीटिंग भी हुई, जिसके सदस्यों ने प्लाज्मा थेरेपी को अप्रभावी बताया। साथ ही इसे गाइडलाइंस से हटाने की भी मांग की गई। इसके लिए कुछ वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स ने प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजयराघवन को एक चिट्ठी भी लिखी।
चिट्ठी में ये कहा गया कि प्लाज्मा थेरेपी के ‘तर्कहीन और अवैज्ञानिक इस्तेमाल’ को बंद कर देना चाहिए। चिट्ठी को ICMR प्रमुख और एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया को भी भेजा गया था।
इसके बाद सोमवार को हेल्थ मिनिस्ट्री के जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप ने कोरोना मरीजों के मॉनिटरिंग ग्रुप ने कोरोना मरीजों के मैनेजमेंट के लिए रिवाइज्ड क्लीनिकल गाइडलाइन को जारी किया। इस गाइडलाइंस में प्लाज्मा थेरेपी का जिक्र नहीं किया गया, जबकि पहले ये प्रोटोकॉल का हिस्सा था। अभी तक जो गाइडलाइन थी, उसके मुताबिक कोरोना लक्षण दिखने की शुरुआत होने के 7 दिन के अंदर प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल की इजाजत थीं।
प्लाज्मा थेरेपी को लेकर ब्रिटेन में भी रिसर्च हुई। 11 हजार लोगों पर की गई स्टडी में पाया गया कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के इलाज में कोई चमत्कार नहीं करती। बीते साल ICMR ने भी एक रिसर्च की थी, जिसमें ये ही मिला कि प्लाज्मा थेरेपी मृत्यु दर को कम करने के लिए और कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए कारगर नहीं।
…तो इसलिए लिया गया ये फैसला
प्लाज्मा थेरेपी को हटाने पर ICMR तके टॉप वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा ने बताया कि बीजेपीएम में छपे आंकड़ों में ये बात सामने निकलकर आई कि प्लाज्मा थेरेपी का फायदा नहीं हो रहा। ये महंगी होती है और साथ में पैनिल भी क्रिएट हो रहा था। इसकी वजह से हेल्थ केयर सिस्टम पर दबाव बढ़ा हुआ था, बावजूद इसके मरीजों को थेरेपी से मदद नहीं मिल रही थीं। वहीं डोनर में प्लाज्मा की गुणवत्ता भी हर वक्त सुनिश्चित नहीं होती।
अब तक क्यों हो रहा इसका इस्तेमाल?
बता दें कि कोरोना से जो लोग रिकवर हो जाते थे, उनके खून में मौजूद एंटीबॉडीज को गंभीर मरीजों को दिया जाता था, इसे ही प्लाज्मा थेरेपी कहा जाता है। कोरोना महामारी के दौर में प्लाज्मा थेरेपी का काफी इस्तेमाल किया जा रहा था। कई सरकारें लगातार लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील कर रही थीं। वहीं कई राज्यों में तो प्लाज्मा बैंक तक बना दिए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि जब इस थेरेपी का कोई फायदा नहीं, तो क्यों इसका इस्तेमाल लोगों पर हो रहा था?