अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर का मामला सामने आने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। अनुसूचित जाति ने इस फैसले पर काफी आपत्ति जताई। इसके साथ ही उस फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान करने का भी निर्णय लिया गया है। रविवार को हुई बैठक के बाद अनुसूचित जाति के विभिन्न संगठन एकजुट हुए और 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया। दरअसल झारखंड में चौकीदार भर्ती में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण शून्य कर दिया गया था। चौकीदार भर्ती में आरक्षण शून्य किए जाने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया। कहा जा रहा है कि यह आंदोलन ठीक उसी तरह होने वाला है, जैसे 2 अप्रैल 2018 को हुआ था। दरअसल इस दिन दलित संगठनों ने अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। इतना ही नहीं कई राजनीतिक दलों और कई संगठनों ने भी भारत बंद का समर्थन किया अब कहा जा रहा है कि एक बार फिर वही दिन आने वाला है।
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विरोध प्रदर्शन की हो चुकी है पूरी तैयारी
पलामू प्रमंडल के अनुसूचित जाति के सभी संगठनों ने एकजुट होकर एक नया संगठन बनाया है। इस संगठन का नाम “अनुसूचित जाति आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति” रखा गया है। इस संगठन ने 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष संदीप पासवान ने बताया कि अनुसूचित जाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सभी संगठन एकजुट हो गए हैं और इसके विरोध में 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया है। देश भर के अलग-अलग जिलों में एक साथ बैठकें हो रही हैं और अनुसूचित जनजाति के लोग भी इस बंद का समर्थन कर रहे हैं।
संदीप पासवान ने कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी बंद बुलाया गया है, जो ऐतिहासिक होगा। आपको बता दें कि पलामू में हुई बैठक में विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस दौरान सभी ने सर्वसम्मति से 21 अगस्त को भारत बंद बुलाने पर सहमति जताई। बैठक का आयोजन आरडी राम ने किया और अध्यक्षता संदीप कुमार पासवान ने की। जबकि बैठक का संचालन अशोक पासवान ने किया।
ट्विटर पर चलाए जा रहे हैशटैग
इस विरोध प्रदर्शन के समर्थन में कई ट्वीट किए गए हैं। सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और दलित अधिकार कार्यकर्ता हंसराज मीरा ने लिखा है कि हंसराज मीना ने एससी-एसटी वर्ग के अप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को शांतिपूर्ण भारत बंद का ऐलान नहीं किया है। समाज के लोग खुद ही एससी एसटी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए यह ऐलान कर रहे हैं। मैं समाज के लोगों के साथ खड़ा हूं #21 अगस्त
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी वर्गों में उप वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को शांतिपूर्ण भारत बंद की घोषणा हंसराज मीणा ने नहीं की है। एससी एसटी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए समाज के लोग स्वयं घोषणा कर रहे है। मैं तो समाज के लोगों के साथ खड़ा हूं। #21_अगस्त_भारत_बंद pic.twitter.com/9qhWnA782x
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) August 4, 2024
जिस तरह से ट्विटर पर हैशटैग भारत बंद का ऐलान किया गया है और कहा जा रहा है कि बड़े आंदोलन की तैयारी चल रही है।
मायावती और चंद्रशेखर ने भी किया सपोर्ट
भारत बंद को बहुजन समाज पार्टी का भी समर्थन मिला है। बीएसपी ने सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं से भारत बंद में शामिल होने की अपील की है। मायावती ने कहा कि यह सही है कि दलित समाज के 10 प्रतिशत लोगों के पास पैसा आ गया है। वे पदों पर पहुंच गए हैं, लेकिन उनके बच्चों से आरक्षण का लाभ नहीं छीना जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि जातिवादी मानसिकता वाले लोगों की सोच अभी भी नहीं बदली है। पैसा मिलने के बाद भी समाज में स्वीकार्यता नहीं है।
वहीं, नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का विरोध किया है और भारत बंद आंदोलन का समर्थन किया है।
मायावती भारत बंद के समर्थन में क्यों आईं?
एससी-एसटी आरक्षण के बहाने बीएसपी करीब 35 साल बाद सड़कों पर उतरने जा रही है। जानकारों की मानें तो मायावती अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राजनीतिक धार देकर जाटव समुदाय का भरोसा कायम रखते हुए पासी, धोबी और खटिक समुदाय को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं। साथ ही, बीएसपी इस बहाने अपने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने और अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने की कोशिश में है। इसे बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या था?
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने 1 अगस्त, 2024 को 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाया। जिसमें कहा गया कि राज्य एससी एसटी वर्ग के सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद लोगों को आरक्षण का फ़ायदा देने के लिए उपवर्गीकरण कर सकते हैं। इसके अलावा, कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एससी एसटी वर्ग के आरक्षण से क्रीमी लेयर को पहचानना और हटाना कितना ज़रूरी है।
गौरतलब है कि चिराग पासवान ने कहा है कि वह इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।