इशरत जहां एनकाउंटर केस एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है।
दरअसल, बुधवार को इस मामले की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन
अधिकारियों को सभी आरोपों से बरी किया। साथ में इस दौरान एक बड़ी टिप्पणी करते हुए
ये भी कहा कि इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की आतंकी थीं, इस खुफिया रिपोर्ट को
नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए तीनों अधिकारियों को निर्दोष बताते हुए बरी
किया जाता है।
जो
कोर्ट ने बीते दिन फैसला दिया, उसके बाद एक बार फिर से इशरत जहां एनकाउंटर केस को
लेकर चर्चाएं तेज हो गईं। तो ऐसे में आइए आपको हम इस एनकाउंटर की पूरी कहानी बताते
हैं, जिसने देश की राजनीति में खूब सुर्खियां बटोरी…
2004
का है मामला…
बात
साल 2004 की है…इस साल 15 जून को गुजरात के अहमदाबाद में पुलिस ने 4 लोगों को मार गिराया
था। उसमें 19 साल की इशरत जहां भी शामिल थीं। तब गुजरात के सीएम थे। ये एनकाउंटर
का मामला देश की राजनीति में सुर्खियां बटोरने लगा। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी
पार्टियों ने गुजरात पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए और इसे फर्जी बताया।
2016
में इशरत जहां को लेकर हुआ था बड़ा खुलासा
उस
दौरान तमाम राजनीतिक दलों ने इन सभी आतंकियों को छात्र बताने के साथ पुलिस पर इनको
पकड़कर मारने का आरोप भी लगाया। इसके बाद साल 2016 में ये मामला एक बार फिर से
चर्चाओं में तब आया, जब अमेरिकी जेल में बंद एक आतंकी डेविड हेडली ने बड़ा खुलासा
किया। आतंकी डेविड हेडली ने बताया था कि अहमदाबाद के एनकाउंटर में मारी गई इशरत
जहां साधारण लड़की नहीं थीं, बल्कि वो लश्कर-ए-तैयबा की आत्मघाती दस्ते की हमलावर
थी।
डेविड
हेडली ने जब ये खुलासा किया, तो देश की राजनीति में भूचाल आ गया। बीजेपी उन सभी
पार्टियों पर हमलावर हो गईं, जिनसे एनकाउंटर केस को लेकर सवाल उठाए थे।
नरेंद्र
मोदी को मारने का था प्लान
एनकाउंटर
में मारे गए ये चारों आतंकी गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या के
इरादे से अहमदाबाद आए थे। उस दौरान जांच में ये बात सामने आई कि चारों आतंकियों ने
कई बार रेकी भी की थी और वो उस दिन मोदी
की हत्या के इरादे से ही अहमदाबाद आए थे। लेकिन उससे पहले ही एनकाउंटर में चारों
को मार गिरा दिया गया।
पुलिस
एनकाउंटर में चार लोग मारे गए थे, जिसमें एक जावेद शेख जहां था। वो नकली नोटों की
तस्करी करता था। अमजद अली और जीशान जौहर
नाम के आतंकी पाकिस्तानी नागरिक निकले। इन दोनों की लाश पर किसी ने भी दावा नहीं
किया। वही एनकाउंटर में मारी गई 19 साल की इशरत जहां भी शामिल थीं। इशरत जहां की मौत को लेकर सबसे ज्यादा
राजनीति हुई थीं।
बिहार
की राजनीति में भी मचा बवाल
बिहार
में भी इशरत जहां के एनकाउंटर में मारे जाने को लेकर काफी बवाल मचा था। दरअसल, ये
बात सामने आई थीं कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इशरत को “बिहार की बेटी” बताते हुए एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए।
तब नीतीश कुमार बीजेपी छोड़कर ने लालू यादव के साथ शामिल हो गए थे।
जब आतंकी हेडली ने इशरत जहां को लेकर
खुलासा किया था उसके बाद बीजेपी के नेता नीतीश कुमार पर बरसे भी थे। बीजेपी नेता
गिरिराज सिंह ने नीतीश पर हमला बोलते हुए उन्हें अपने बयान के लिए देश से माफी
मांगने को कहा। गिरिराज ने ये भी कहा था कि ये देश का दुर्भाग्य ही है कि आतंकी को
भी वोट से जोड़ दिया जाता है।
हालांकि नीतीश ने “बिहार की बेटी” वाले बयान से ही पल्ला झाड़ लिया था।
उन्होनें कहा था कि मैनें कभी भी इशरत जहां को बिहार की बेटी नहीं कहा। मीडिया में
मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। अब बीते दिन दिए गए कोर्ट के इस फैसले के
बाद ये मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आया है। कोर्ट ने इशरत जहां को आतंकी बताते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।