कौन हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट, जिन्हें राजनीतिक साजिश के तहत जेल में डाल दिया गया है?

Know who is former IPS officer Sanjiv Bhatt, who has been put in jail under a political conspiracy
Source: Google

इस साल मार्च में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पालनपुर के 1996 के एनडीपीएस मामले में 20 साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। पालनपुर के द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने उन्हें यह सजा सुनाई है। संजीव भट्ट को किसी आपराधिक मामले में यह दूसरी सजा मिली है। उन्हें 2019 में जामनगर कोर्ट ने हिरासत में मौत के एक मामले में दोषी पाया था। वहीं कठोर कारावास की यह खबर सामने आते ही मोदी सरकार लोगों के निशाने पर आ गई और यहां तक ​​कि पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी ने भी मीडिया के सामने यह बात उठाई कि उनके पति पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। आइए आपको पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के बारे में विस्तार से बताते हैं।

और पढ़ें: अकबरनगर के बाद अब अबरारनगर की बारी, LDA ने शुरू किया सर्वे, जल्द चलेगा बुलडोजर 

कौन हैं संजीव भट्ट?

संजीव भट्ट गुजरात कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधियों में गिना जाता है। संजीव भट्ट ने 1990 में जामनगर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में अपना पुलिस सेवा करियर शुरू किया था। इस दौरान उन्होंने दंगा नियंत्रित करने के लिए 150 लोगों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लिए गए लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की अस्पताल में भर्ती होने के कुछ दिनों बाद किडनी फेल होने से मौत हो गई। लेकिन भट्ट पर हिरासत में प्रताड़ित करने और मारपीट करने का आरोप लगा। इस मामले में भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिसके चलते वह जेल में है।

गुजरात दंगो को लेकर उठाए सवाल

संजीव भट्ट दिसंबर 1999 से सितंबर 2002 के बीच गांधीनगर में स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो में डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। कुछ समय के लिए भट्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा का जिम्मा भी संभाला था। जब भट्ट पीएम मोदी की सुरक्षा संभाल रहे थे, उसी समय गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना हुई थी। राज्य में दंगे भड़के थे। सितंबर 2002 में उनका तबादला कर दिया गया था। उस समय यह बात सामने आई थी कि उन्होंने तत्कालीन सीएम के एक भाषण की रिकॉर्डिंग राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को दे दी थी। कुछ समय बाद उनका तबादला कर दिया गया।

गुजरात दंगों की जांच के दौरान संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों को खारिज कर दिया था। जून 2011 में गुजरात सरकार ने संजीव भट्ट को ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण निलंबित कर दिया था। बाद में करीब पांच साल बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। जब गुजरात दंगों में पीएम मोदी को क्लीन चिट मिल गई तो अहमदाबाद पुलिस ने केस दर्ज किया। इसमें संजीव भट्ट के साथ राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर फर्जी सबूत तैयार कर सीएम को फंसाने की साजिश रचने का केस दर्ज किया गया था। संजीव भट्ट पर यह केस भी चल रहा है। गुजरात दंगों में कई अन्य कारणों की वजह से भी संजीव भट्ट का नाम कई मामलों में आया था। जिसकी वजह से उन्हें जेल और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।

और पढ़ें: ‘ये वाली 150 रुपये में मिल जाएंगी…’ जयपुर में विदेशी महिला पर्यटकों की “रेट लिस्ट” बताने वाले युवक के खिलाफ पुलिस ने लिया एक्शन 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here