मोदी सरकार ने 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा फायदा देते हुए नई पेंशन स्कीम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का ऐलान किया है। ये स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगी। नेशनल पेंशन स्कीम के ग्राहकों के पास अब UPS में स्विच करने का विकल्प होगा। UPS में कर्मचारी के रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर दिया जाएगा। इसके साथ ही इस स्कीम में कई दूसरे फायदे भी हैं। वहीं, कुछ राज्यों में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) भी लागू है। आइए समझते हैं कि UPS और OPS में क्या अंतर है।
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पुरानी पेंशन योजना (OPS) कैसी है?
OPS में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है। इसके अलावा जनरल प्रोविडेंट फंड यानी जीपीएफ का भी प्रावधान है। इसमें 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी राशि दी जाती है और ओपीएस में भुगतान भी सरकारी खजाने के माध्यम से किया जाता है। ओपीएस में भुगतान सरकारी खजाने के माध्यम से किया जाता है। इसमें खास बात यह है कि रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को पेंशन की रकम मिलती है। साथ ही ओपीएस में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं काटा जाता। और तो और, छह महीने बाद मिलने वाले डीए का भी प्रावधान है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) कैसी है?
UPS में पेंशन का बोझ कर्मचारी पर नहीं पड़ता। इसमें सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है। वहीं, कर्मचारी के रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाएगा। ओपीएस से अलग किसी भी कर्मचारी के पास उसकी मृत्यु से पहले जितनी पेंशन थी, उसका 60 फीसदी मृतक कर्मचारी की पत्नी/पति को दिया जाएगा। कम सेवा अवधि वालों के लिए यूपीएस में 10,000 रुपये प्रतिमाह सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन का प्रावधान है। इसके अलावा यूपीएस में महंगाई का भी ध्यान रखा गया है। महंगाई भत्ते की तर्ज पर सुनिश्चित पेंशन, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन पर महंगाई सूचकांक लागू होगा। यूपीएस में रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त भुगतान का प्रावधान है। हर 6 महीने की सेवा पर रिटायरमेंट की तारीख को मासिक वेतन (वेतन+डीए) का 1/10वां हिस्सा दिया जाएगा।
OPS और UPS में कौन ज्यादा फायदेमंद?
- यूपीएस में अंतिम 12 महीने के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में दिया जाएगा। जबकि ओपीएस में अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता था।
- यूपीएस में सैलरी (बेसिक+डीए) का 10 फीसदी हिस्सा कटेगा। हालांकि, सरकार का योगदान 18.5 फीसदी होगा, जो पहले 14 फीसदी था। ओपीएस में कोई कटौती नहीं होती थी।
- यूपीएस में 10 साल तक नौकरी करने के बाद 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन का प्रावधान है। एनपीएस में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जबकि ओपीएस में 40 प्रतिशत पेंशन कम्युटेशन का प्रावधान है।