जम्मू-कश्मीर में मिला Lithium का भंडार
भारत में पहली बार जम्मू कश्मीर में करीब 6 मिलियन टन लिथियम का भण्डार मिला है जिसका इस्तेमाल हम लैपटॉप, मोबाइल सहित और बहुत से डिवाइसेस की बैटरी बनाने में करते हैं. आज जहाँ पूरा विश्व प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रहा है ऐसे वक़्त में लिथियम का इतना भण्डार मिला है जो देश के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं है .आज की तारीख में स्मार्ट फ़ोन हो या नार्मल कार या कोई भी बैटरी से चलने वाला प्रोडक्ट इन सब में लिथियम आयन बैटरी का ही इस्तेमाल होता है तमाम देश अब पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता को कम कर रहे हैं जिसकी वजह है केवल लिथियम! लेकिन सवाल अब ये पैदा होता है कि इस भण्डार के मिलने से क्या देश में कोई नयी क्रांति, कुछ बदलाव आएगा. जिस भारत के विश्व गुरु बनने की बात हम सुनते आ रहें हैं क्या अब देश उस राह पर आगे बढ़ रहा है?
Also Read- पति के S*X करने के तरीके के आगे पत्नी हुई बेबस, पहुंची थाने. हर रात होता था ये….
कितना जरूरी है लिथियम ?
लिथियम का इस्तेमाल रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर करने के लिए किया जाता है. लेकिन पिछले दशक की ही बात करें तो इसे इतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी लेकिन आज के समय में प्रदूषण को कम करने और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर से अपनी निर्भरता कम करने के लिए लिथियम सोने का बराबर है . आज पूरी दुनिया में पेट्रोलियम छोड़ ग्रीन एनर्जी की ओर शिफ्ट हो रही है . कार्बन के उत्सर्जन (Emission) को कम करने के लिए आज सारे देश ग्रीन एनर्जी को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसकी मुख्य वजह है लिथियम. लिथियम आयन के जरिए हम रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर कर सकते है. वहीं भारत में लिथियम का भण्डार मिलना भारत की मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट करेगा. सबसे खास बात ये है कि ये बैटरी रिचार्जेबल होती है और इनकी लाइफ ज्यादा होती है. इस तरह से लिथियम आने वाले भविष्य में एक जरूरी मेटल बन चुका है. लिथियम आयन बैटरी में दूसरे मेटल्स भी होते हैं, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका लिथियम की ही है. फिर चाहे इलेक्ट्रिक कार हो या इलेक्ट्रिक ट्रक सब मे लिथियम का ही इस्तेमाल होगा.
क्यों बढ़ रही तेजी से डिमांड
दुनियाभर के तमाम देश ग्रीन एनर्जी की ओर स्विच करने में लगे हैं. ऐसे में लिथियम की की कीमत बढ़ना लाजमी है. रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2000 से 2015 के बीच लिथियम की डिमांड 30 गुना बढ़ी है. वहीं 2015 के मुकाबले 2025 में इसकी डिमांड 1000 परसेंट बढ़ सकती है. ऐसे में इसकी कीमत का बढ़ना भी तय है. देश में लिथियम का प्रोडक्शन बढ़ने से आने वाले समय में बैटरी की कीमत में भी कमी आ सकती है. इससे पेट्रोल-डिजल का खर्च तो कम होगा ही साथ में इससे निर्भरता और प्रदूषण में भी गिरावट आएगी.
आयात पर कम होगी निर्भरता
देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है. लिथियम के भंडार की यह पहली साइट है, जिसकी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने रियासी जिले में पहचान की है. इलेक्ट्रिक व्हीकल और मोबाइल फोन जैसे उपकरणों की बैट्री में इस्तेमाल होने वाले लिथियम को दूसरे देशों से आयात किया जाता है. रियासी जिले में मिले अब इसके भंडार से देश की आयात पर निर्भरता कम होगी.
कीमत कर देगी हैरान
जिस तरह से शेयर मार्केट किसी कम्पनी की वैल्यूएशन तय करती है उसी तरह से मेटल की कीमत तय करने के लिए कमोडिटी मार्केट होती है फिलहाल लिथियम की कीमत प्रति टन 472500 युआन(करीब 57,36,119 रुपये) है, इस हिसाब से एक टन लिथियम की कीमत भारतीय करेंसी में 57.36 लाख होती है भारत के जम्मू में पाए गए लिथियम का कुल भण्डार 59 लाख टन का है अब अगर टोटल कैलकुलेशन करें तो मिले हुए भण्डार की कुल कीमत 3384 अरब रुपये होगी . इसकी कीमत भी मार्केट के आधार पर ही बदलती रहती है.
इस देश में है लिथियम का सबसे बड़ा भण्डार
ऑस्ट्रेलिया लिथियम प्रोडक्शन के मामले में सबसे आगे है. साल 2021 के आंकड़ों की माने तो , दुनियाभर का 52% लिथियम ऑस्ट्रेलिया प्रोड्यूस करता है. दूसरे नंबर पर चिली है, जिसकी हिस्सेदारी 24.5 परसेंट है. तीसरे नंबर पर चीन है, जो 13.2 परसेंट लिथियम प्रोड्यूस करता है. ये तीन देश ही दुनियाभर का 90 परसेंट लिथियम प्रोड्यूस करते हैं. ऐसे में भारत में इतने बड़े लिथियम का भण्डार मिलना काफी हद तक बाकि देशों से लिथियम की निर्भरता को कम करेंगा.
Also Read- राज्यसभा में PM ने गाँधी परिवार पर बोला हमला, नेहरू सरनेम रखने में क्यों है शर्मिंदगी.