देशभर में नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी का काफी नाम चर्चाओं में है. इसे लेकर कई देश में प्रदर्शन हो रहे हैं. नागरिकता कानून के विरुद्ध पूर्वोत्तर भारत के असम से विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई. जिसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी और सीलमपुर इलाके में काफी जबरदस्त प्रदर्शन हुए.
वहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देश के कई राज्य में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को दुर्भाग्यपूर्ण और बहुत निराशाजनक करार दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी भारतीय को नागरिकता कानून से नुकसान नहीं होगा. आइए आपको विस्तार से समझते हैं कि नागरिकता संशोधन बिल (CAB) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(NRC) क्या है, इन दोनों में क्या अंतर है और देश में इस मुद्दे पर उबाल क्यों है?
नागरिकता संशोधन विधेयक नागरिकता अधिनियम (Citizenship Act) 1955 में बदलाव करेगा. इस विधेयक के तहत अब बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू,सिख,ईसाई,बौद्ध,जैन,पारसी शरणार्थीयों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने में आसानी होगी, जो अभी तक ये सब अवैध शरणार्थी माने जाते थे. बता दें कि संसद में CAB पास होने और राष्ट्रपति की महुर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून (CAA) बन गया है.
नागरिकता संशोधन बिल में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन धर्म से जुड़े अल्पसंख्यक मौजूद हैं. इस विधेयक के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक धर्म के आधार को लेकर प्रताड़ना के चलते बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यक लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
भारत की नागरिकता लेने के लिए पहले 11 साल तक भारत में रहना अनिवार्य था, लेकिन अब इस अवधि को घटा दिया गया है. नए विधेयक के मुताबिक पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर 5 साल से भी भारत में रहे हों तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जा सकती है.
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) असम में अधिवासित सभी नागरिकों की एक सूची है. वर्तमान में राज्य के अंदर वास्तविक नागरिकों को बनाए रखने और बांग्लादेश से अवैध तौर पर प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए चालू किया जा रहा है. इसे साल 1951 में पहली बार तैयार किया गया था. हाल ही में NRC प्रक्रिया असम में पूरी हुई. वो बात अलग है कि संसद में नवंबर 2019 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया कि एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा.
भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की वर्तमान सूची में शामिल होने हेतु व्यक्ति के परिजनों का नाम साल 1951 में बने पहले नागरिकता रजिस्टर में या फिर 24 मार्च 1971 तक की चुनाव सूची में होना आनिवार्य है.
वहीं, अगर बात करें दस्तावेजों की तो इसके लिए जन्म प्रमाणपत्र, भूमि और किरायेदारी के रिकॉर्ड, शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र, स्थायी आवास प्रमाणपत्र, नागरिकता प्रमाणपत्र,सरकार द्वारा जारी लाइसेंस या प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, एलआईसी पॉलिसी, सरकारी नौकरी का प्रमाण पत्र, बैंक या पोस्ट ऑफिस खाता, शैक्षिक प्रमाण पत्र और अदालती रिकॉर्ड होना चाहिए.
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