देश को सुरक्षा व्यवस्था सही रहे इसके लिए कई सारे नियम और कानून बनाए गए हैं. ऐसे ही कई कानून हैं जो जानवरों (Animals Rights) के हित के लिए बनाए गये हैं और कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लघंन करता है तो उसे सजा मिल सकती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि जंगली जानवरों को पालने या बांधने का क्या कानून है और अगर आप इन कानून का उल्लघंन करते हैं तो आपको सजा हो सकती है.
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जानिए क्या है सजा और दंड का प्रवधान
जानकारी के अनुसार, वन्यजीव संरक्षण कानून (Wildlife Protection Act) के तहत कुछ जानवरों के खिलाफ क्रूरता पर कानून लागू होते हैं और इन कानून का नियम का उल्लघंन करने पर आपको सजा हो सकती है. भारतीय दंड संहिता (CrPC) की धारा 428 और 429 के तहत किसी जानवर को जहर देने, उसे जान से मारने या कष्ट पहुंचाने पर दो साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. वहीं प्रिवेंशन ऑफ क्रूशियल एनमिल एक्ट, 1960 की धारा 11 (1) के मुताबिक, अगर आप अपने पालतू जानवर को भूखा रखते हैं, मारते-पीटते हैं या उसे छोड़ देते हैं और उसकी मौत हो जाती है तो आपको तीन महीने की जेल हो सकती है.
पक्षियों के लिए भी बना है कानून
इसी के साथ जानवर को लोहे की जंजीर या भारी रस्सी से बांधना अपराध है और अगर आप जानवरों को घर के बाहर नहीं निकाला जाता तो इसे कैद माना जाता है. इस मामले में 3 महीने की जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसी के साथ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों, उनके अंडों या उनके घोसलों को नुकसान पहुंचाना भी अपराध है. दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल की कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है.
पशु-पक्षियों की प्रजातियों के खिलाफ भी है कानून
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में 66 धाराएं और 6 अनुसूचियां हैं. इन अनुसूचियों में पशु-पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया गया है. वहीं अनुसूची-1 और 2 के तहत वन्य जीवों को सुरक्षा प्रदान की जाती है और इसका उल्लंघन करने वालों को सजा का प्रावधान किया गया है.अनुसूची 3 और 4 भी संरक्षण देते हैं लेकिन इनमें रखे गए जानवरों के खिलाफ अपराध पर सजा का प्रावधान काफी कम हैं. अनसुची 5 में ऐसे जानवर रखे गए हैं जिनका शिकार किया जा सकता है. अनुसूची 6 में शामिल पौधों की खेती और रोपण पर रोक लगाई गई है.
सारस की जान बचाने पर हुआ एक शख्स पर केस
आपको बता दें, हाल ही में अमेठी में एक सारस (Stork) की जान बचाने वाले आरिफ के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. दरअसल, आरिफ के मुताबिक, उसने सारस की जान बचाई और उसके बाद वो सारस उनके साथ ही रहने लगा. आरिफ ने यह भी कहा है कि उन्होंने सारस को न तो बंधक बनाया और न ही उसके खिलाफ कोई हिंसा की लेकिन अब आरिफ के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 2, 9, 29, 51 और धारा 52 के तहत केस दर्ज किया गया है.
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