Sambhal Violence full details: संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा ने उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिंसा की शुरुआत तब हुई जब एक धार्मिक उत्सव के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हुई, जिसके बाद मामला तेज़ी से बढ़ता गया। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा की वजह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना बताया जा रहा है, जो बाद में पुलिस कार्रवाई और राजनीतिक नेताओं के बयानों के चलते और हिंसक हो गई। आइए समझते हैं कि क्या है ये पूरा मामला
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मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा
संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब बढ़ गया जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि यह मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर की जगह पर बनी है। इस दावे के आधार पर कोर्ट के आदेश पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के नेतृत्व में एक टीम ने मस्जिद का सर्वेक्षण किया।
जामा मस्जिद या हरि मंदिर? (Sambhal Jama Masjid vs Harihar Mandir)
लेकिन, यह पहली बार नहीं है कि संभल की जामा मस्जिद को हरि मंदिर के तौर पर पेश किया गया हो। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1966 में तैयार किए गए मुरादाबाद के जिला गजेटियर में जामा मस्जिद के मुख्य परिसर की तस्वीर को “संभल के किले पर स्थित हरि मंदिर” के तौर पर वर्णित किया गया था।
गजेटियर (Sambhal Jama Masjid full history) में यह भी दावा किया गया है कि इस जगह का प्राचीन नाम संभलपुर था। भारत में इस्लामिक शासन से पहले यहां एक किला था, जिसमें भगवान विष्णु का हरि मंदिर स्थित था। कहा जाता है कि उस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी और इसे बाबर की मस्जिद कहा गया। गजेटियर में मस्जिद के परिसर में मौजूद बड़े टैंक, फव्वारे और एक प्राचीन कुएं का भी जिक्र किया गया है।
बंगाल की एशियाटिक सोसायटी की रिपोर्ट
बंगाल की एशियाटिक सोसायटी की 1873 की रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि जामा मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था (Sambhal Jama Masjid vs Harihar Mandir)। रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद में घंटी की चेन अभी भी लटकी हुई है, जो पहले मंदिर का हिस्सा थी। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा पथ का भी जिक्र किया गया था।
2024 में नया गजेटियर लॉन्च
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2024 में मुरादाबाद मंडल का नया गजेटियर लॉन्च किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लॉन्च किए गए इस गजेटियर में संभल और उसके आसपास के इतिहास, संस्कृति और प्रमुख लोगों के बारे में जानकारी दी गई है। यह हिंदी में प्रकाशित होने वाला पहला गजेटियर है।
घटना की शुरुआत और मस्जिद में सर्वे का विवाद- Sambhal Violence full details
आइये अब समझते हैं कि संभल जिले में सर्वेक्षण कार्य के दौरान क्या हुआ। जामा मस्जिद में 19 नवंबर 2024 को एक सर्वेक्षण कार्य के दौरान विवाद पैदा हुआ। यह सर्वेक्षण जामा मस्जिद के अंदर और आसपास हरिहर मंदिर के दावे से जुड़े मुद्दे पर किया जा रहा था (Sambhal Jama Masjid Clash)। मस्जिद के अंदर मंदिर के दावे के बाद विवाद गहरा गया और इस सर्वेक्षण में एडवोकेट कमिश्नर के नेतृत्व में एक टीम शामिल थी। यह सर्वेक्षण मस्जिद के अंदर धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्यों की जांच के लिए किया जा रहा था।
19 नवंबर को जब टीम मस्जिद में सर्वे के लिए पहुंची तो वहां पर माहौल तनावपूर्ण हो गया। सर्वे के दौरान करीब एक घंटे तक कोई बड़ी घटना नहीं हुई, लेकिन जैसे ही टीम मस्जिद के अंदर सर्वे कर रही थी, वहां भीड़ बढ़ने लगी। बाहर खड़े लोग मस्जिद में घुसने की कोशिश कर रहे थे, जबकि कुछ लोग मस्जिद के अंदर भी पहुंच गए थे। कई लोग नमाज का समय बताकर अनाधिकृत रूप से अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे।
सुरक्षा कारणों से सर्वे स्थगित
इस बढ़ती भीड़ और बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र सर्वे कार्य को तत्काल स्थगित कर दिया। रात के समय स्थिति और भी बिगड़ सकती थी, लिहाजा प्रशासन ने निर्णय लिया कि सर्वे को अगले दिन 24 नवंबर तक स्थगित किया जाए।
19 नवंबर को टीम में कौन था मौजूद?
इस विवादित सर्वे के दौरान जफर अली, जो जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के सदर हैं, उनके अलावा वादी और प्रतिवादी पक्ष के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव अपनी टीम के साथ मस्जिद में सर्वे कर रहे थे। इस सर्वे के दौरान प्रशासन ने तय किया कि केवल कुछ निर्धारित संख्या में लोग ही मस्जिद में प्रवेश करेंगे और बाकी सभी को बाहर ही रहना होगा। इस दौरान जिला प्रशासन के अधिकारियों जैसे डीएम और एसपी को बाहर रखा गया और मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया।
सर्वे के दौरान विवाद की शुरुआत: विधायक के बेटे द्वारा वीडियो ग्राफी
19 नवंबर को सर्वे के पहले चरण के दौरान सदर विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल की मौजूदगी में भी माहौल आपत्तिजनक हो गया, क्योंकि टीम अंदर ही सर्वे कर रही थी। उन्होंने अपने मोबाइल फोन से मुख्य गेट, आस-पास के इलाके और सर्वे टीम का वीडियो बनाना शुरू कर दिया।
जिसके बाद, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने चेतावनी दी कि वीडियो को बाहर वायरल करने से विवाद और बढ़ सकता है, इसलिए इसकी रिकॉर्डिंग रोकना जरूरी था। लेकिन सोहेल इकबाल ने पुलिस की चेतावनी को नकारते हुए वीडियो बनाना जारी रखा। इस पर पुलिस और विधायक के बेटे के बीच कहासुनी हो गई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
24 नवंबर को दूसरा दौर: सुबह-सुबह हथियार बांटे गए
खबरों की मानें तो, संभल में पहला सर्वे 19 नवंबर को हुआ था, तब कोई बवाल नहीं हुआ था, लेकिन कट्टरपंथियों ने 24 नवंबर को दंगे की तैयारी कर ली थी। प्रशासन बहुत सख्त था इसलिए 23 की शाम तक कुछ नहीं हुआ। अगले दिन 24 नवंबर को यहां अवैध हथियार बांटे गए। इसके बाद सुनियोजित हिंसा की गई जिसे हिंदू-मुस्लिम तनाव का रूप देने की कोशिश की गई, जबकि हिंदू पक्ष के लोग कहीं नजर नहीं आए। कट्टरपंथियों की भीड़ ने सर्वे टीम और पुलिस पर पथराव किया।
12 FIR और 4 लोगों की मौत
जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। दो अलग-अलग थानों में कुल 12 एफआईआर दर्ज की गई हैं। 25 लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस की एफआईआर में करीब 2500 लोग अज्ञात और 8 लोग नामजद हैं, जिसमें सांसद जिया उर रहमान बर्क का नाम भी शामिल है। इस हिंसा को लेकर तमाम नेताओं ने अपने बयान दिए।
सांप्रदायिक सद्भाव पर गहराते सवाल
संभल हिंसा पर टिप्पणी करते हुए धार्मिक नेता यासूब अब्बास ने इस घटना को खूनी होली करार दिया। उन्होंने धार्मिक आधार पर हो रही हिंसा की कड़ी आलोचना की।
चंद्रशेखर आजाद की संभल यात्रा पर रोक
इसी बीच भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद जब संभल में सांप्रदायिक हिंसा के बाद हालात का जायजा लेने जा रहे थे, तो उन्हें हापुड़ पुलिस ने रोक लिया। उन्हें एनएच-9 हाईवे पर छिजारसी टोल प्लाजा पर रोका गया और बाद में एक स्कूल कैंपस में भेज दिया गया। कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए पुलिस ने उनकी आगे की यात्रा पर रोक लगा दी है।
राहुल और प्रियंका गांधी को भी नही मिली संभल जाने की इजाजत
इसके अलावा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की इजाजत नहीं दी गई। गाजीपुर में रोके जाने के बाद संभल के लिए निकले कांग्रेस सांसद करीब सवा दो घंटे तक प्रशासन के सामने आगे जाने की मांग करते रहे। उनकी मांग नहीं मानी गई। इसके बाद राहुल गांधी ने वापस लौटने का फैसला किया।
अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
इन सब के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा। अखिलेश ने कहा, ‘संभल में शांति की अपील के साथ ही ये भी अपील है कि कोई भी इंसाफ़ की उम्मीद न छोड़े। नाइंसाफ़ी का हुक्म ज़्यादा दिन नहीं चलता सरकार बदलेगी और न्याय का युग आएगा।‘
अखिलेश ने पूछा दोबारा सर्वे क्यों ?
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस सर्वेक्षण को लेकर योगी सरकार की आलोचना की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एक बार सर्वेक्षण हो चुका था तो सुबह-सुबह दोबारा सर्वेक्षण क्यों कराया गया, वह भी दूसरे पक्ष को सुने बिना। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि चुनावी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि संभल में जो कुछ हुआ वह भाजपा और प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा है, ताकि चुनावी अनियमितताओं पर चर्चा न हो सके। उनके मुताबिक सच्ची जीत सिस्टम से नहीं जनता से होती है और यहां लोगों को वोट डालने से रोका जा रहा है।
राजनीतिक स्थिति और पुलिस प्रशासन की भूमिका
इस घटना ने राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति को और जटिल बना दिया। जहां एक ओर प्रशासन का यह प्रयास था कि सर्वे बिना किसी विवाद के पूरा हो, वहीं दूसरी ओर कुछ राजनीतिक हस्तियों और उनके समर्थकों ने मस्जिद के अंदर घुसने और सर्वे के काम में दखल देने की कोशिश की। इस पूरे घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश में धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक तनाव को और बढ़ा दिया, खासकर चुनावी माहौल में।