उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को आखिरकार बचा लिया गया है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत भारत सरकार की कई एजेंसियां ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया और मजदूरों को बचाया. इसी के साथ इस ऑपरेशन में एक छोटे-से कैमरे ने भी अहम भूमिका निभाई जिसने दिखाया कि मजदूर किस हालत में है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस छोटे से कैमरे के बारे में बताने जा रहे हैं.
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एंडोस्कोपिक कैमरा क्या है?
जानकरी के अनुसार, पहाड़ को चीरते हुए जो छोटा से कैमरा सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचा और जिस छोटे से कैमरे ने दिखाया कि सुरंग में फंसे मजदूर किस स्थिति में हैं वो एंडेस्कोपिक कैमरा है जिसके जरिए सफेद-पीले हेलमेट पहने मजदूर दिखे और उनसे बात हुई. वहीं इन मजदूरों के परिवारों को हादसे के दसवें दिन सुरंग के अंदर से पहली बार वीडियो फुटेज देखकर राहत मिली. मजदूरों को पीले और सफेद हेलमेट पहने हुए एक-दूसरे के साथ बातचीत करते और पाइपलाइन के जरिये खाना लेते देखा गया.
ये एंडोस्कोपिक कैमरा सबसे एडवांस मेडिकल डिवाइसों में से एक है और इसका इस्तेमाल इंसान की बॉडी के अंदर सर्जिकल ऑपरेशन के लिए किया जाता है और ये “चिप-ऑन-टिप” तकनीक पर आधारित हैं. इसमें LED लगा होता है जो शरीर के अंदर इलाज की जगह पर रोशनी कर स्थिति की सटीक तस्वीर कैप्चर करता है और इस कैमरे से डॉक्टर बाहर बड़ी स्क्रीन पर मरीज की बीमारी का जायजा लेते हैं. उत्तरकाशी की सुरंग के अधिकारियों ने भी इस तकनीक से मजदूरों तक पहुंच बनाई और उनका हाल जानने के लिए ये कैमरा 6 इंच की पाइपलाइन में जा सका और मजदूरों से संपर्क हो सका.
लाखों में हैं कैमरे की कीमत
वहीं इस कैमरे की कीमत बात करें तो इसकी कीमत लगभग 11 लाख रूपये से ज्यादा है और इस डॉक्टर लोग सबसे इस्तेमाल करते हैं लेकिन इस उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए भी इस कैमरे का इस्तेमाल किया गया.
टूट गया था सुरंग का एक हिस्सा
जानकारी के अनुसार, ये हादसा उत्तराखंड के उत्तरकाशी के ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में हुआ. जब इस सुरंग का एक हिस्सा अचानक टूट गया और यहां पर काम कर रहे करीब 40 श्रमिक अंदर फंस गए. ये हादसा करीब चार बजे हुआ जब इस चार किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन सुरंग का करीब 150 मीटर हिस्सा टूट गया.
रिपोर्ट के अनुसार, टनल के अंदर काम कर रहे सभी मजदूर 800 मीटर की दूरी पर फंसे हुए हैं. मजदूरों को पाइपों की मदद से अंदर ऑक्सीजन दी जा रही है और ये काम टनल में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की गयी और इसी पाइपलाइन के जरिए रात में कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक खाने के पैकेट भेजे गए.
तपोवन सुरंग में भी फंसे थे मजदूर
आपको बता दें, चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये ऑल वेदर (हर मौसम में खुली रहने वाली) टनल बनाई जा रही है. इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी. वहीँ इससे पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में 2021 में भी तपोवन सुरंग के अंदर मजदूर फंस गए थे. तमाम मशक्कत के बाद भी मजदूरों को नहीं बचाया जा सका था. इस हादसे में 53 मजदूरों की मौत हो गई थी.