देश में अभी भी इस बात पर बहस चल रही है कि जाति जनगणना करवाई जाए या नहीं। वहीं खबर है कि सितंबर में जनगणना शुरू होने वाली है। लेकिन, सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इस तथ्य के बावजूद कि सबसे हालिया जनगणना 2011 में पूरी हुई थी, सरकारी कार्यक्रम और नियम अभी भी देरी के कारण 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित हैं। अर्थव्यवस्था, मुद्रास्फीति और नौकरी के अनुमानों से जुड़ी जानकारी वाले कई सांख्यिकी सर्वेक्षण भी इससे प्रभावित होते हैं। सरकार कोरोना के कारण 1881 से हर दस साल में होने वाली जनगणना में देरी की।
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2021 में होने वाली थी जनगणना
जनगणना मूल रूप से 2021 में होने वाला था। जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 2 साल का समय लगेगा। ऐसे में अगर जनगणना की प्रक्रिया सितंबर में भी शुरू होती है तो भी अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आएंगे। इसलिए जनगणना के आंकड़ों को सिर्फ 2031 तक सीमित रखना तर्कसंगत नहीं होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि पुरानी तारीख के हिसाब से देश में कितनी जातियां हैं और किस जाति के कितने लोग हैं।
देश में कितनी जातियां हैं?
भारत की जाति व्यवस्था प्राचीन काल से चली आ रही है और इसमें विभिन्न जातीय समूहों की पहचान की जाती है। जातियां पारंपरिक रूप से हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था पर आधारित हैं, जिसमें चार प्रमुख वर्ग शामिल हैं – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। लेकिन, आधुनिक समय में जातियों की यह व्यवस्था और भी जटिल हो गई है और इसमें अनगिनत उपजातियां और जातीय समूह शामिल हैं।
भारत में अनुसूचित जातियों का आंकड़ा
भारत में जातियों की कुल संख्या का सटीक आंकड़ा प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि जनगणना में जातियों की पहचान करने की प्रक्रिया और तरीके समय-समय पर बदलते रहते हैं। लेकिन, भारतीय जनगणना और विभिन्न सामाजिक अध्ययन हमें कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े प्रदान करते हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की कुल संख्या 16.6% और 8.6% थी। कुल जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर, अनुसूचित जातियों की संख्या लगभग 20 करोड़ और अनुसूचित जनजातियों की संख्या लगभग 10 करोड़ थी।
हर राज्य का डाटा अलग-अलग
भारत में जातियों की संख्या बहुत ज़्यादा है और विविधता भी। अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में जातियों की संख्या अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में बहुत सारी जातियाँ और उपजातियाँ हैं। जब भारत में जातियों की कुल संख्या की बात आती है, तो सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों के डेटा से पता चलता है कि यह आंकड़ा हज़ारों में हो सकता है। उदाहरण के लिए, राज्य स्तर पर जाति-आधारित डेटा हज़ारों जातियों और उपजातियों की पहचान करता है। 2011 की जनगणना के अनुसार, मार्च 2023 तक 1,270 एससी और 748 एसटी जातियाँ हैं।
जनगणना में इतनी जातियां सामने आईं
केंद्र ने बताया कि 1931 की जाति जनगणना में देश में कुल 4,147 जातियाँ थीं, जबकि 2011 की जाति जनगणना के परिणामस्वरूप अब देश में 46 लाख से ज़्यादा जातियाँ हैं। केंद्र ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए 2011 की जाति जनगणना के आँकड़ों का हवाला दिया, जिसमें पता चला कि इस राज्य में कुल 4,28,677 जातियाँ थीं, जबकि महाराष्ट्र में आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में 494 जातियाँ शामिल हैं।
देश की कुल जनसंख्या कितनी?
2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या 121 करोड़ है, जिनमें से 79.79 प्रतिशत हिंदू, 14.22 प्रतिशत मुस्लिम, 2.29 प्रतिशत ईसाई, 1.72 प्रतिशत सिख, 0.69 प्रतिशत बौद्ध और 0.36 प्रतिशत जैन हैं।
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