ट्रेनों में बिस्तर (तकिए, कंबल और चादरें) की सफाई (Railway bed Cleanliness) और रखरखाव भारतीय रेलवे द्वारा यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में एक प्रमुख मुद्दा है। हाल ही में एक RTI (Right to Information) से पता चला कि ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले तकिए, कंबल और चादरें कितनी बार धुलती हैं। यह जानकारी यात्रियों के बीच चिंता का विषय थी, क्योंकि यात्रा के दौरान इन कपड़ों की स्वच्छता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं।
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तकिए और चादर की धुलाई- Railway Monthly washing schedule
रेलवे द्वारा एसी बोगियों में बेड रोल उपलब्ध कराए जाते हैं। टिकट की कीमत के साथ ही यात्रियों से इसके लिए पैसे भी लिए जाते हैं। इन कंबलों, तकियों, तौलियों, चादरों और अन्य वस्तुओं की सफाई शिकायतों का एक आम स्रोत है। रेलवे ने अब एक आरटीआई पूछताछ के जवाब में बताया है कि इन चादरों को कितनी बार साफ किया जाता है।
RTI से पता चला है
ट्रेन में मिलने वाले कंबल महीने में 1 बार धुलते हैं
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) October 22, 2024
RTI से मिली जानकारी के अनुसार, ट्रेन के यात्रियों को दिए जाने वाले तकिए के कवर और चादर को हर यात्रा के बाद धोया जाता है। यानी एक बार उपयोग होने के बाद ये वस्त्र साफ-सफाई के लिए भेजे जाते हैं और अगली यात्रा में ताजे और धुले हुए बिस्तर यात्रियों को दिए जाते हैं। चादरों की धुलाई के लिए रेलवे ने पूरे देश में 46 डिपार्टमेंटल लाउंड्री (Railway Departmental Laundry) बनाई हैं।
कंबल की धुलाई:
कंबल को लेकर यात्रियों के मन में अधिक सवाल थे, क्योंकि ये देखने में कई बार साफ नहीं लगते। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, कंबलों को हर 1 से 2 महीने में एक बार धोया (Train Pillow Blanket hygiene) जाता है। हालांकि, यह संख्या कई यात्रियों के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती है, क्योंकि कंबलों का उपयोग रोज़ाना होता है और सफाई का ध्यान रखना जरूरी होता है। वहीं रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले ऊनी कंबलों का रखरखाव करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। बहरहाल, कुछ रेल कर्मचारियों का मानना है कि कंबलों को धोने में कभी-कभी दो महीने लग सकते हैं। भारतीय रेलवे ने यह भी कहा कि कंबल को अक्सर धोने के बजाय इन्हें सूखे तरीके से साफ किया जाता है, जिससे उनका उपयोग बार-बार हो सके।
यात्रियों की चिंता:
इस जानकारी के सामने आने के बाद कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर रेलवे की इस नीति पर सवाल उठाए, खासकर कंबलों को महीने में एक बार या उससे भी कम बार धोने के फैसले को लेकर। कई यात्रियों का मानना है कि इन वस्त्रों की सफाई की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि यात्रियों को साफ-सुथरी यात्रा का अनुभव मिल सके।
रेलवे का प्रयास:
भारतीय रेलवे लगातार कोशिश कर रही है कि बिस्तर और अन्य सुविधाओं की साफ-सफाई के मानकों में सुधार लाए जाएं। इसके लिए आधुनिक तकनीकों और सफाई प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं रेलवे द्वारा एक डिपार्टमेंटल लाउंड्री का निर्माण किया गया है और अब इसका प्रबंधन एक ठेकेदार द्वारा किया जाता है। कोच के बेडरोल के बारे में अक्सर शिकायतें आती रहती हैं क्योंकि ठेकेदारों का मनमाना व्यवहार, जिसके परिणामस्वरूप अनुचित सफाई होती है। रेलवे ने पिछले साल इस लॉन्ड्री के अनुबंध की शर्तों में संशोधन किया था। यह अनुबंध मूल रूप से विस्तारित अवधि के लिए दिया गया था, लेकिन बाद में इसे घटाकर छह महीने कर दिया गया।
यात्रियों को रेलवे द्वारा दी जाने वाली बिस्तर सुविधाओं की यह जानकारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इसके आधार पर रेलवे अपनी सेवाओं को और बेहतर करने की दिशा में काम कर रही है।
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