ड्रोन अटैक के सामने आने के बाद से ही एंटी-ड्रोन तकनीक पर बहस तेज हो गई। बगैर इंसानी हेल्प के एंटी-ड्रोन तकनीक ड्रोन्स से होने वाले हमले को रोकती है जो काफी सफल होती भी दिखती है। ऐसे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि ये ड्रोन क्या है और ये काम कैसे करता है? सवाल ये भी है कि ड्रोन्स वाकई क्या इतने खतरनाक हैं कि उनकी तोड़ की जरूरत पड़े? आइए, इन सवालों को सुलझाते हैं…
क्या है ड्रोन और इसका काम क्या है?
मानवरहित विमान को ड्रोन कहते है, जिसको निगरानी के लिए यूज में लाया जाता है। जैसे कि सैनिक तैनात करने के बजाए सीमाओं पर चौबीसों घंटे ड्रोन से निगरानी करना। कोई संदिग्ध बात जैसे ही नजर आती है इसके बारे में ड्रोन से सेना को पता चल जाता है।
ड्रोन निगरानी करने में खतरा कहां है?
दरअसल, ड्रोन अब युद्ध की ओर ले जाने लगा है। 2001 के बाद अमेरिका ने अपने ड्रोन्स को सशस्त्र बनाने का फैसला किया और इसके अगले ही मंथ ड्रोन हमला हुआ अफगानिस्तान पर, जो कि हिस्ट्री का पहला ड्रोन हमला माना गया। फिर क्या था कई देश आपस में ड्रोन्स हमले करने लगे और अमेरिका ने इसी टेकनीक से आतंकियों को खत्म करने के लिए जमकर बमबारी की सीरिया और इराक पर। अर्मेनिया और अजरबैजान में छिड़ी जंग में ड्रोन्स का यूज बिल्कुल भी एक एग्जांपल है।
एंटी-ड्रोन तकनीक बनाई जा रही है तो क्या ये ड्रोन हमले की काट साबित होगी?
सेना के ऑफिसर की मानें तो अभी तो एंटी-ड्रोन तकनीक के नाम पर बस ड्रोन्स को नष्ट करने के बारे में कह सकते हैं पर ये आसान नहीं होगा। संदिग्ध ड्रोन्स का रेंज में होना भी इसके लिए जरूरी है और कई बार ड्रोन्स रात में दिखते नहीं, तो ऐसे में दुश्मन देश या फिर आतंकी बड़ी आसानी से बचकर भाग सकता है इसका डर बना रहता है। इस पर बात होती रही है कि एंटी-ड्रोन तकनीक कैसे बने जो ड्रोन्स को नष्ट कर पाए। इजरायल, चीन और अमेरिका में तो कई कंपनियां एंटी-ड्रोन तकनीक को बनाना भी शुरू कर चुकी हैं जिसमें कि रडार, जैमर, ऑप्टिक के साथ ही थर्मल सेंसर जैसी चीजों को भी शामिल किया गया है।
ये सिस्टम कैसे काम करता है?
इसके तहत होने वाले खतरे को देखा जाए तो सेना को इसके लिए अलर्ट किया जाता है या तो ड्रोन को निष्क्रिय कर देना होता है। कुछ एंटी ड्रोन सिस्टम सीमा पर लगातार चक्कर काटते है तो कुछ सीधे हमला करके ड्रोन को मार देते हैं। एंटी ड्रोन तकनीक बैलिस्टिक मिसाइल या लेजर जैसी लेटेस्ट टेकनीक से लैस होती हैं।
इजरायल में राफेल की बनाई एंटी-ड्रोन तकनीक की खासा चर्चा है। ड्रोन डोम बनाया है उसने जिसमें मिसाइल को भांपकर उसको निष्क्रिय करने क्षमता होती है। इसमें रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर के साथ ही ऐसी तकनीक भी है जो उसे 360 डिग्री तक का कवरेज देती है जिससे कि संदिग्ध ड्रोन किसी भी डायरेक्शन में बच न सके। अमेरिका की बनाई एंटी ड्रोन तकनीक को ड्रोन हंटर कहा जा रहा है।
जहां तक भारत की बात है तो डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेश यानि कि DRDO ने एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार किया। ये सिस्टम 3 किलोमीटर तक की रेंज के संदिग्ध ड्रोन को जैम कर पाएगा या फिर ढाई किलोमीटर की रेंज में आने वाले ड्रोन्स को मारकर खत्म कर पाएगा।