बिहार की राजनीति में अक्सर ही बाहुबलियों और डॉन का जिक्र होता रहा है। अगर बात मोकामा की करें तो अनंत सिंह का नाम आना लाजमी हो जाता है। ‘छोटे सरकार’ और ‘मोकामा के डॉन’ से पहचाने जाने वाले अनंत सिंह का नाम ही बिहार को खौफ में डाल देने को काफी है। कहते हैं कि अनंत सिंह की मोकामा में समानांतर सरकार चलती है।
अनंत सिंह पर सैकड़ों क्रिमिनल्स केसेज चल रहे हैं। छोटे मोटे नहीं बल्कि कत्ल, फिरौती, डकैती, अगवा करने और तो और रेप जैसे संगीन मामले चल रहे हैं। घर से एके-47 और बम बरामद किए जा चुके हैं।
अनंत सिंह की कहानी कहां से शुरू हुई?
दरअसल, पटना से 40 मिनट की दूरी पर बाढ़ स्थित है, जहां के लदमा में अनंत सिंह पैदा हुए। वो चार भाइयों में सबसे छोटे है। कहते हैं कि अनंत सिंह पहली दफा जेल महज 9 साल की उम्र में गया फिर क्राइम की दुनिया में वो बढ़ता ही चला गया। पर अनंत सिंह का इतना खौफ कैसे है ये बड़ा सवाल है।
दरअसल, बिहार के बाहुबली नेता थे अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह और लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी थे। श्याम सुंदर धीरज 80 में कांग्रेस विधायक रहे थे जिनके लिए बूथ कब्जाने का काम करने वाले दिलीप ने उनको ही हराया और जनता दल के टिकट पर 1990 में विधायक बन गए। ऐसे में एक भरोसेमंद साथ के तौर पर छोटे भाई अनंत सिंह को साथी बना लिया जिस पर दो हत्याओं का आरोप लग चुका था और जो रंगदारी की राह पर काफी आगे निकल चुका था।
कहते हैं कि बड़ी कम उम्र में अनंत सिंह वैराग्य ले चुके थे फिर अयोध्या और हरिद्वार की ओर निकल गए लेकिन जब साधुओं से झगड़ा हुआ तो वैराग्य से मन उचट गया और तभी किसी ने सबसे बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या कर दी । अब तो अनंत पर बदले का भूत ही सवार हो गया और जब अचानक पता चला कि किसी नदी के पास हत्यारा बैठा है तो अनंत ने तैरकर नदी पार की और उसकी ईंट-पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी ऐसे आरोप लगते हैं अनंत पर।
जब नीतीश कुमार के आए साथ
जब साल 1996 का लोकसभा चुनाव आया तो इस बात की दिक्कत नीतीश कुमार को महसूस हुई कि लालू के बिना समर्थन के बात कैसे बनेगी क्योंकि बाढ़ के जातिगत समीकरण नीतीश के लिए ठीक नहीं था तो। ऐसे में अनंत सिंह का साथ दिखने लगा। साल 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में अनंत का साथ नीतीश कुमार के लिए बेहद जरूरी था। जानने वाले ऐसा मानते हैं। फिर साल 2005 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर नीतीश कुमार ने मोकामा विधानसभा से अनंत को उतार ही डाला जिसके लिए नीतीश कुमार के खिलाफ बातें होंने लगी थीं क्योंकि अनंत सिंह के अगेंट्स संगीन मामले पहले ही दर्ज थे लेकिन इन सबसे ऊपर उठकर आखिरकार अनंत सिंह की जीत गए।
देखते ही देखते अनंत गरीबों के मसीहा साथ ही साथ छोटे सरकार तक बन गए लेकिन साल 2015 में जब लालू और नीतीश एक साथ हुए तो जेडीयू से अनंत सिंह ने इस्तीफा दे दिया। दबदबा इतना कि साल 2015 का विधानसभा चुनाव जेल से लड़ने और एक दिन भी प्रचार नहीं करने पर भी अनंत की 18 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हुई।
जुर्म की काली दुनिया का कैसे बेताज बादशाह बन गया अनंत सिंह?
– बिहार एसटीएफ ने साल 2004 में मोकामा में अनंत सिंह के घर छापेमारी की। इस दौरान घंटों गोलीबारी हुई जिसमें एक जवान की मौत हुई और अनंत सिंह के आठ लोग मारे गए। अनंत सिंह को भी गोली लगी पर वो भाग निकला।
– एक महिला से दुष्कर्म और हत्या के केस में साल 2007 में अनंत सिंह का नाम आया। एक निजी चैनल के पत्रकार इस बारे में उनसे बात करने गए तो पत्रकारों की जमकर पिटाई की उनके समर्थकों ने और सबको बंधी बना लिया। फिर केस ने तूल पकड़ा और विधायक अरेस्ट हुए।
-अनंत का खौफ कितना था ये इससे ही पता चलता है कि जीतन राम मांझी के सीएम रहते हुए अनंत ने मंढी को खुली धमकी दी थी और तो और नीतीश सरकार में मीनिस्टर रहीं परवीन अमानुल्लाह को भी उसने धमकी दी और एके-47 लहराते हुए इसका एक वीडियो काफी वायरल हुआ।
– 17 जून 2015 को कुछ यूं हुआ कि बाढ़ के बाजार में चार युवकों ने अनंत सिंह की फैमिली की एक महिला को छेड़ा जिस पर खूब हंगामा हुआ। अनंत पर आरोप लगा कि उसके इशारे पर ही चारों युवकों को उनके गुर्गों ने अगवा किया और इनमें से एक की दर्दनाक हत्या की गई, जिसका शव अगले दिन ही जंगल में पाया गया। मामले में अनंत सिंह और कई आरोपी अरेस्ट हुए। बाकी तीनों अगवा किए गए युवकों को भी बरामद किया गया। आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि विधायक ने युवकों को सबक सिखाने का आदेश दिया लेकिनइन तीनों की हत्या होती उससे पहले ही वहां पुलिस पहुंच गई।
-अनंत सिंह की संपत्ति विधायक बनने के पांच साल बाद कई गुना बढ़ गई। 2005 में 3.40 लाख रुपये की संपत्ति होने की घोषणा अनंत ने की। फिर 2010 में ही ये बढ़कर 38.84 लाख रुपये हो गई। इस पर सवाल उठते हैं कि आखिर ऐसा कैसे हुआ।
-बाढ़ में 16 अगस्त 2019 को पुलिस ने अनंत सिंह के पैतृक घर में छापा मारा तब घर से एक एके 47 राइफल, दो हैंड ग्रेनेड साथ ही मैगजीन में भरे हुए 26 जिंदा कारतूस कब्जे में लिया गया। इस केस में अनंत के खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया।