देश में एक तरफ जहां जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग जोरों-शोरों पर उठ रही है। यूपी, असम जैसे राज्यों ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया और जल्द ही राज्यों में पॉपुलेशन कंट्रोल करने के लिए कानून लाने की तैयारी भी हो रही है। इस बीच एक राज्य में चर्च से ऐसा ऐलान किया गया, जो हैरान कर देने वाला है।
1500 की दी जाएगी आर्थिक मदद और…
केरल के एक चर्च में ये ऐलान किया गया है कि जिन ईसाई परिवारों के 5 से ज्यादा बच्चे होंगे, उनकी आर्थिक मदद की जाएगी। इस ऐलान के मुताबिक ऐसे परिवारों को 1500 रुपये की हर महीने आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके अलावा जो महिलाएं चौथे बच्चे के आगे जन्म देगीं, वो चर्च के द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल से फ्री डिलीवरी देखभाल पा सकती है। साथ ही चौथे या फिर उसके बाद में जो बच्चे परिवार में पैदा होंगे, उनको चर्च के द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज में
जो महिलाएं अपने चौथे बच्चे को आगे जन्म दे रही हैं, वे चर्च द्वारा संचालित अस्पताल में मुफ्त डिलीवरी देखभाल की हकदार हैं, जबकि जो बच्चे चौथे या बाद में एक परिवार में पैदा होते हैं, उन्हें चर्च द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज में स्कॉलरशिप मिलेगी।
क्या समुदाय की आबादी बढ़ाना है मकसद?
इस सुविधा का फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिनकी शादी साल 2000 के बाद हुई पांच या उससे ज्यादा बच्चों पर ये सुविधाएं देने का ऐलान किया है केरल के कोट्टायम जिले के पाला में कैथोलिक चर्च ने। चर्च के इस ऐलान का मकसद राज्य में ईसाई समुदाय की आबादी बढ़ाना माना जा रहा है।
हालांकि फैमिली अपोस्टोलेट के फादर कुट्टियानकल ने इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी से प्रभावित हुए बड़े परिवारों को मदद करना बताया जा रहा है। फादर कुट्टियानकल के कहा कि अगस्त से ये आर्थिक मदद शुरू की जा सकती है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि ये जो योजना है वो 2019 में चांगानाचेरी आर्चडायोसिस द्वारा जारी किए गए पत्र के तहत चलाई जा रही है? तो इसके जवाब में वो बोले कि पत्र में जो मुद्दा उठाया गया था, वो आज भी सच ही है। केरल में ईसाई समुदाय की जनसंख्या नीचे गिर रही है।
केरल में घट रही ईसान समुदाय की आबादी
आपको बता दें कि इस पत्र में कहा गया था कि केरल में ईसाई समुदाय की आबादी तेजी से कम हो रही है। इस पत्र में बताया गया था कि केरल में एक समय ऐसा था जब ईसाई समुदाय की दूसरी बड़ी आबादी था। अब वो तीसरे नंबर पर आ गया है और यहां ईसाई समुदाय की आबादी घटकर 18.38 प्रतिशत ही रह गई।