Ken Betwa link Project: बुंदेलखंड के लिए जीवनदायिनी पहल, यूपी-MP में 65 लाख लोगों को मिलेगा फायदा

Ken Betwa link Project What is Ken Betwa link Project
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Ken Betwa link Project: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखी। यह परियोजना देश की सबसे महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक जल प्रबंधन परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त इलाकों को जल संकट से राहत देना है। आइए, जानते हैं इस परियोजना से जुड़ी अहम बातें।

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क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना? (Ken Betwa link Project)

केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत मध्य प्रदेश की केन नदी का पानी उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी में स्थानांतरित किया जाएगा।

  • केन नदी जबलपुर के पास कैमूर पहाड़ियों से निकलती है और 427 किमी बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में यमुना नदी में मिलती है।
  • बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलती है और 576 किमी बहने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना से मिलती है।
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इस परियोजना के तहत दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी और दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा।

परियोजना से कौन-कौन से जिले लाभान्वित होंगे?

मध्य प्रदेश:

  • जिले: पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया।
  • लाभ: इन जिलों के लगभग 2,000 गांवों की 8.11 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी।

उत्तर प्रदेश:

  • जिले: महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा।
  • लाभ: यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, और पीने के पानी की समस्या भी हल होगी।

परियोजना की खासियतें और लाभ

इस परियोजना का अनुमानित खर्च ₹44,605 करोड़ है। यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की 65 लाख आबादी को पीने का पानी उपलब्ध कराएगी। सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। परियोजना के तहत जल विद्युत से 130 मेगावाट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा। दौधन बांध के निर्माण से दोनों राज्यों में बाढ़ और सूखा प्रभावित इलाकों को राहत मिलेगी। यह परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों को सालभर पानी उपलब्ध कराएगी और वन पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने में मदद करेगी। परियोजना के तहत चंदेल कालीन 42 प्राचीन तालाबों का पुनर्निर्माण किया जाएगा।

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परियोजना में देरी के कारण

इस परियोजना में लंबे समय तक देरी का मुख्य कारण पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी दिक्कतें थीं। यह परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है, जिससे वन्यजीव संरक्षण के सवाल उठे। हालांकि, 22 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कर इस बाधा को दूर किया।

कैसे सुधरेगा बुंदेलखंड का जीवनस्तर?

इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र में व्याप्त जल संकट समाप्त होगा। औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, जिससे उनकी पैदावार और आय में वृद्धि होगी। क्षेत्र की जल उपलब्धता और पर्यावरणीय पुनर्निर्माण से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

परियोजना का ऐतिहासिक महत्व

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी। उनके कार्यकाल में देश की नदियों को आपस में जोड़ने का महत्वाकांक्षी निर्णय लिया गया था। अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस परियोजना को साकार रूप दिया जा रहा है।

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