बीजेपी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल हैं। इससे पहले वो हिमाचल प्रदेश के भी गर्वनर रह चुके हैं। कलराज मिश्र की पहचान बीजेपी के एक बड़े नेता के रूप में होती है। उत्तर प्रदेश में संगठन को खड़ा करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। इसके अलावा राम मंदिर आंदोलन से भी कलराज मिश्र जुड़े थे।
इस तस्वीर में आपको कलराज मिश्र के साथ प्रोफेसर राजेश शर्मा नजर आ रहे हैं। जो बीजेपी नेता और भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) के सदस्य हैं।
गाजीपुर में हुआ जन्म
कलराज मिश्र का जन्म एक जुलाई 1941 को गाजीपुर जिले के सैदपुर के मलिकपुर गांव में हुआ था। इनके पिता रामाज्ञा मिश्रा पेशे से एक शिक्षक थे और माता प्रभावती एक साधारण धार्मिक महिला थीं। कलराज मिश्र ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से एमए की डिग्री हासिल की। 1963 में वो सत्यवती से शादी कर ली। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं।
ऐसे हुई राजनीति में एंट्री
छात्र जीवन से ही वो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे और एक सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। कलराज मित्र ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत 1963 में की थीं। तब वो गोरखपुर से RSS के प्रचारक बने थे। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका कद लगातार बढ़ता ही चला गया।
कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाया
जब इंदिरा सरकार ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी थीं, तो कलराज मिश्र भी जेल जाने वालों की लिस्ट में शामिल थे। वो 18 महीनों तक जेल में रहे थे। जनता पार्टी की सरकार के दौरान कलराज मिश्र 1978 में राज्यसभा के सदस्य बनाए गए थे। तब वो सबसे कम उम्र के राज्यसभा सदस्य थे। 1980 में जब बीजेपी का गठन हुआ तो कलराज मिश्र बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। 1986 से 2002 तक वो तीन बार विधान परिषद के सदस्य रहे। 1997 में 2002 तक जब यूपी में बीजेपी की सरकार सत्ता में थीं तो उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री पद संभाले।
साल 2002 से लेकर 2012 तक कलराज मिश्र दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। इसके बाद 2012 में उन्होंने लखनऊ के पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीता भी। इस तरह मिश्र ने विधानसभा में कदम रखा। इसके बाद बचा था तो सिर्फ लोकसभा में कदम रखना, जिसका मौका भी उनको साल 2014 में मिल ही गया।
मंत्री पद से इस वजह से दिया इस्तीफा
बीजेपी ने 2014 में कलराज मिश्र को देवरिया से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया। जिसमें वो भारी वोटों से जीत भी दर्ज करने में कामयाब हुए। उनको सूक्ष्म, लघु और उद्यम मंत्री (MSME) बनाया गया, लेकिन इस दौरान तक उनकी उम्र 75 साल की हो गई थीं। इस वजह से पार्टी के नियमों के मुताबिक कलराज मिश्र को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2017 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिश्र को हरियाणा का प्रभारी बनाया गया था। 16 जुलाई 2019 से उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद वो 9 सितंबर 2019 को उन्हें राजस्थान के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गईं।
मशहूर रहीं कल्याण सिंह संग इनकी जोड़ी
1990 दशक का वो दौर था, जब कलराज मिश्र की जोड़ी कल्याण सिंह के साथ काफी मशहूर थीं। इन दोनों बड़े नेताओं की जोड़ी एक दशक तक काफी सुर्खियों में रहीं। जब 1991 में कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने, तो उस दौरान कलराज मिश्र प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे।
वहीं इसके बाद जब कल्याण सिंह को 1997 में दोबारा मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, तब मिश्र उनके मंत्रिमंडल में लोक निर्माण, पर्यटन, चिकित्सा शिक्षा मंत्री बने। राम मंदिर से जुड़ा आंदोलन हो या फिर विपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलने का, ये दोनों नेता इसमें हमेशा ही आगे रहते थे।
कलराज मिश्र काफी कम उम्र में राजनीति से ही सक्रिय हो गए थे। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा पार्टी को सबसे ऊपर रखा। उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसे बखूबी निभाया। यही वजह है कि बीजेपी ने उन पर भरोसा जताए रखा और लगातार उन्हें आगे बढ़ाती रहीं।