Journalist Ravish Kumar: वरिष्ठ पत्रकार और चर्चित एंकर रवीश कुमार ने पत्रकारिता की मौजूदा स्थिति और इंटरव्यू की प्रासंगिकता पर कड़ा बयान दिया है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन्होंने पत्रकारिता के गिरते स्तर और इंटरव्यू के बढ़ते दिखावे पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
रवीश कुमार ने कहा कि आज के समय में इंटरव्यू को महज औपचारिकता बना दिया गया है। उन्होंने कहा, “इंटरव्यू को ऐसे बना दिया गया है जैसे मॉल से शर्ट लेने जाना है। ऐसे किसी का इंटरव्यू नहीं होता और न करना चाहिए।” उनका मानना है कि इंटरव्यू एक गंभीर और विचारशील प्रक्रिया है, जिसमें पर्याप्त तैयारी और समय की जरूरत होती है।
“पत्रकारिता को खत्म कर दिया गया है” – Journalist Ravish Kumar
उन्होंने अपने बयान में पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि पहले रिपोर्टिंग की विधा को समाप्त कर दिया गया, फिर ऐंकरिंग को। इसके बाद, डिबेट्स के नाम पर भ्रम फैलाया गया कि पत्रकारिता हो रही है। “अब जब डिबेट्स की साख भी समाप्त हो चुकी है, तो इंटरव्यू को पत्रकारिता का भ्रम बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है,” उन्होंने कहा।
कोई यह काम नहीं करता है मगर मैं कर रहा हूँ। बहस हो सकती है तो हो। लेकिन इंटरव्यू का फ़ोन आपदा का रूप ले चुका है। इसके लिए अलग तैयारी और समय की ज़रूरत होती है। इंटरव्यू को ऐसे बना दिया गया है जैसे मॉल से शर्ट लेने जाना है। ऐसे किसी का इंटरव्यू नहीं होता और न करना चाहिए।
पहले… pic.twitter.com/l0WTToxkEJ
— ravish kumar (@ravishndtv) January 10, 2025
“सूचनाओं का संग्रह खत्म हो गया है”
रवीश कुमार ने कहा कि पत्रकारिता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू—सूचनाओं का संग्रह—अब खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा, “बिना खबरों के सवाल वही होते हैं जो नेता एक दूसरे के लिए पैदा करते हैं। जिनकी जवाबदेही है, वे इंटरव्यू के नाम पर रस्सी कूद रहे हैं और पुशअप लगा रहे हैं।”
“पत्रकारों का चयन और बहिष्कार हो रहा है”
उन्होंने यह भी कहा कि अब पत्रकारों का चयन और बहिष्कार आम बात हो गई है। जो पत्रकार सच्चे सवाल पूछने की काबिलियत रखते हैं, उन्हें मंच से दूर कर दिया जाता है। रविश ने इसे पत्रकारिता को खत्म करने का एक और तरीका बताया।
“इंटरव्यू झांसा बन गया है”
रवीश कुमार ने कहा कि इंटरव्यू अब झांसा बन चुका है, जो यह दिखाने का प्रयास करता है कि अभी भी पत्रकार हैं और वे सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन वास्तव में यह केवल एक दिखावा है।
“खुद फोन करूंगा, लेकिन फिलहाल राहत दें”
अपने बयान के अंत में उन्होंने कहा कि यह विषय बहुत बड़ा है और इस पर काफी बातें की जा सकती हैं। लेकिन फिलहाल वे इस विषय में शामिल नहीं होना चाहते। उन्होंने कहा, “जो कर रहे हैं, उन्हें शुभकामनाएं। मुझे करना होगा तो खुद फोन करूंगा। फिलहाल इसे सार्वजनिक सूचना समझें और मुझे राहत दें।”
पत्रकारिता पर बड़ा सवाल
रवीश कुमार के इस बयान ने पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है। उनके शब्द न केवल मौजूदा पत्रकारिता की स्थिति की आलोचना करते हैं, बल्कि इस पेशे में सुधार की दिशा में सोचने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
उनका यह बयान पत्रकारिता में गहराई और सच्चाई बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित करता है। रविश कुमार ने अपने स्पष्ट और साहसिक रुख से एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे न केवल सवाल पूछने वाले हैं, बल्कि पत्रकारिता की गरिमा को बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।