Journalist Raghvendra Bajpai Murder: उत्तर प्रदेश के महोली तहसील से जुड़े दैनिक जागरण के संवाददाता राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चार गोलियां लगने की पुष्टि होने के बाद मामला और गंभीर हो गया है। हत्यारे उन्हें किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे, इसी कारण ताबड़तोड़ गोलियां दागकर उनकी हत्या कर दी गई।
सच्चाई उजागर करने की कीमत चुकाई (Journalist Raghvendra Bajpai Murder)
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राघवेंद्र वाजपेयी ने हाल ही में धान खरीद में हो रही अनियमितताओं का खुलासा किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स के माध्यम से दिखाया था कि किस तरह लेखपालों और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी सत्यापन कर धान की खरीद-बिक्री हो रही थी। इसमें ऐसे लोगों के नाम पर धान सत्यापन किया गया, जिनके पास जमीन ही नहीं थी।
इसके अलावा, उन्होंने भूमि खरीद के मामलों में स्टांप चोरी को भी उजागर किया था। उनके खुलासों के बाद तहसील प्रशासन ने जांच शुरू की थी, और स्टांप चोरी की पुष्टि भी हुई थी, जिससे संबंधित लोगों पर कार्रवाई चल रही थी।
राघवेंद्र द्वारा इन घोटालों की पोल खोलने के बाद उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। उन्होंने अपने कुछ सहयोगियों से इस बारे में चर्चा भी की थी कि वह कुछ प्रभावशाली लोगों के निशाने पर आ गए हैं।
धान खरीद घोटाले की जांच अब तक अधूरी
धान खरीद घोटाले की जांच अब भी अधूरी है। राघवेंद्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे दूसरे सर्किल में धान सत्यापन किया गया, जहां असल में धान की खेती हुई ही नहीं थी। यहां तक कि जिन खेतों में गन्ने की फसल थी, वहां भी धान सत्यापन दिखाया गया।
इस घोटाले में प्रशासन ने एसडीएम स्तर से नोटिस जारी कर लेखपालों से जवाब मांगा था, लेकिन जांच में अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं राघवेंद्र की हत्या इस घोटाले से जुड़े बड़े चेहरों को बचाने की साजिश तो नहीं थी?
पेशेवर अपराधियों ने अंजाम दिया हमला
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हत्या में 315 बोर और 311 बोर की बंदूकों का इस्तेमाल किया गया। अपराधियों ने चार गोलियां सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए मारीं कि राघवेंद्र की मौके पर ही मौत हो जाए। जिस तरह से उनकी हत्या को अंजाम दिया गया, वह पेशेवर अपराधियों की कार्यशैली को दर्शाता है।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
राघवेंद्र की हत्या से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चे शोक में डूबे हैं। उनके पिता महेंद्र बाजपेयी पहले से ही मानसिक रूप से अस्वस्थ थे और उनका इलाज लखनऊ में चल रहा था, जिसकी जिम्मेदारी राघवेंद्र ही निभा रहे थे।
उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चे—10 वर्षीय बेटा आराध्य और 8 वर्षीय बेटी अस्मिता अब बेसहारा हो गए हैं। परिवार के हालात देखकर रिश्तेदार और परिचित भी अपनी भावनाएं नहीं रोक पा रहे हैं।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
इस हत्याकांड को लेकर विपक्षी दलों ने योगी सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस घटना को लेकर एक्स (Twitter) पर लिखा:
“क्या यही है ‘डबल इंजन’ सरकार की कानून व्यवस्था? पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी को सरेआम गोलियों से भून दिया गया और सरकार चुप है। अगर पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या होगा?”
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इस हत्या को सच्चाई उजागर करने की सजा करार दिया। उन्होंने कहा कि
“धान खरीद घोटाले का पर्दाफाश करने की वजह से राघवेंद्र की हत्या कर दी गई। सरकार को दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
उन्होंने सरकार से पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा और पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की है।