बिहार की सियासत में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है लेकिन एनडीए गठबंधन के अंतर्गत आने वाले राजनीतिक दल बीजेपी और जदयू तमाम मुद्दों पर आमने सामने हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी बदलने की बातें चल रही है।
राज्य की राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि उपेंद्र कुशवाहा को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसी बीच उपेंद्र कुशवाहा के एक बयान ने बिहार के सियासी पारे को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा है कि स्वेच्छा से किए जाने वाले धर्म परिवर्तन को कोई भी नहीं रोक सकता।
उपेंद्र कुशवाहा का बयान
मौजूदा समय में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के रुप में काम कर रहे उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर उनका मन इस्लाम कबूल करने का हो तो उन्हें कौन ही रोक सकता है। उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि यह सभी का संवौधानिक अधिकार है। किसी के भी दबाव में आकर कभी भी धर्म नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलना चाहता है तो उसे कोई रोक भी नहीं सकता। जदयू नेता ने मीडिया के सामने ये सारी बातें कही है।
1931 में हुई थी अंतिम जातिय जनगणना
जातिगत जनगणना को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, जातिगत जनगणना जेडीयू की पुरानी मांग रही है। सीएम नीतीश इसके पक्ष में हैं। पार्टी किसी भी कीमत पर इस मांग से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, बिहार में अंतिम जातिय जनगणना 1931 में हुई थी। तब से अब तक जातीय जनगणना नहीं हुई। इसीलिए सरकार संख्या नहीं बता पाती है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जेडीयू और बीजेपी दो अलग पार्टियां हैं। दोनों के नीति और सिद्धांत भी अलग हैं। जेडीयू जातिगण जनगणना के पक्ष में है।
नीतीश और तेजस्वी भी लगातार कर रहे मांग
बताते चले कि इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना की मांग कर चुके हैं। दोनों ही पार्टियों की ओर से भी लगातार इसकी मांग की जा रही है। वहीं, खबरों की माने तो राज्यों के हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से कह चुके हैं कि अगर वह पिछड़ों के लिए कोई योजना बनाते हैं तो ये बताना होगा कि इसकी संख्या कितनी है।