जातीय जनगणना को लेकर बिहार की राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियों की ओर से लगातार इसकी मांग की जा रही है।
वहीं, जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से भी जातीय जनगणना के मुद्दे को जोर शोर से उठाया जा रहा है। बिहार में बीजेपी इस मामले को लेकर अलग-थलग पड़ती दिख रही है। राज्य में एनडीए की सरकार है लेकिन एनडीए के घटक दल बीजेपी और जदयू इस मुद्दे पर आमने-सामने है।
कई दफा दोनों दलों के विधायक इस मामले को लेकर एक-दूसरे पर बरस भी चुके हैं। इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी पत्र लिखकर बातचीत का समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि अब जैसे ही समय मिलेगा वो उनसे मुलाकात करेंगे।
बीजेपी को बताना जरुरी…
नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जाति आधारित जनगणना की मांग को केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे और इस मुद्दे पर असहमति की स्थिति में उनकी सरकार एक राज्य विशिष्ट जनगणना के लिए विकल्प खुला रखेगी। उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि यदि केंद्र जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो वह बिहार में जातीय आधार पर जनगणना के लिए विचार कर सकते हैं।
सीएम ने कहा, बीजेपी को यह बताना जरुरी है कि हम इस मुद्दे के बारे में क्या सोचते हैं। यह केंद्र पर निर्भर करता है कि वह हमारे अनुरोध को स्वीकार करे या अस्वीकार करे। सभी जातियों की जनगणना से सामाजिक तनाव पैदा होने की आशंका को खारिज करते हुए कुमार ने कहा, ‘जब विधानसभा ने सर्वसम्मति से दो मौकों पर इसके समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है, तो सभी दलों और सभी जातियों और धर्मों के सदस्यों ने इसका समर्थन किया। कोई संदेह नहीं होना चाहिए।‘
7 अगस्त को आरजेडी का प्रदर्शन
बताते चले कि राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी आरजेडी जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को लेकर आगामी 7 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी। इसी बीच नीतीश कुमार ने भी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वह पीएम से मिलकर अपनी मांग को रखने वाले हैं। गौरतलब है कि बिहार में दो बार साल 2019 और साल 2020 में जातीय जनगणना कराए जाने का प्रस्ताव पास हो चुका है। जिसे अप्रूवल के लिए केंद्र के पास भेजा गया था।