Jaipur 2008 Bomb Blast: 17 साल पहले, 13 मई 2008 को जयपुर शहर में हुए भयंकर बम धमाकों के जख्म आज फिर ताजा हो गए, जब विशेष अदालत ने चार दोषियों को उम्र भर की सजा सुनाई। यह धमाके न केवल राजस्थान की राजधानी जयपुर के लोगों के लिए एक भयावह दिन बने, बल्कि पूरे देश को दहला कर रख दिया था। आज, 8 अप्रैल 2025 को, कोर्ट ने शाहबाज हुसैन, सरवर आज़मी, मोहम्मद सैफ और सैफुर रहमान को दोषी करार दिया और उन्हें उम्रभर की सजा सुनाई।
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13 मई 2008 की टाइमलाइन- Jaipur 2008 Bomb Blast
13 मई 2008 को, शाम 7:10 बजे से लेकर 15 मिनट के अंदर, जयपुर के सात प्रमुख इलाकों में हुए नौ बम धमाकों ने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया। ये धमाके साइकिलों में लगाए गए थे, जिनमें टाइमर और आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। सबसे पहले माणक चौक थाना क्षेत्र में पहला धमाका हुआ, इसके बाद बड़ी चौपड़, जोहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, कोतवाली क्षेत्र, हवामहल और चांदपोल बाजार में बम फटे। इन धमाकों में कुल 63 लोग अपनी जान गंवा बैठे, जबकि 216 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
चांदपोल बाजार के पास एक जिंदा बम मिला, जिसे समय रहते डिफ्यूज कर लिया गया, जिससे एक बड़ी त्रासदी को टाला जा सका। इसके चलते “जिंदा बम केस” के नाम से एक अलग केस भी चला।
आतंकियों ने ली जिम्मेदारी
इन धमाकों के दो दिन बाद, आतंकी संगठन “इंडियन मुजाहिदीन” ने एक ईमेल भेजकर इन धमाकों की जिम्मेदारी ली। जांच में बांग्लादेश आधारित आतंकी संगठन हूजी, लश्कर-ए-तैयबा और सिमी का नाम सामने आया। पुलिस ने बंगाली बोलने वाले संदिग्धों पर भी ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि इन धमाकों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की संलिप्तता के बारे में संदेह जताया गया था।
जांच और कार्रवाई
धमाकों के बाद, जयपुर में कर्फ्यू लगा दिया गया था और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को तैनात किया गया। इस मामले में 112 गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें पत्रकार, पुलिस अधिकारी और स्थानीय लोग शामिल थे। पुलिस ने साइकिल बेचने वाले दुकानदारों से पूछताछ की, जिन्होंने संदिग्धों को पहचाना। इसके बाद जांच में तेजी लाई गई और चार आतंकियों को दोषी ठहराया गया।
कानूनी कार्रवाई का सफर
दिसंबर 2019 में विशेष अदालत ने मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर रहमान और मोहम्मद सलमान को दोषी करार देते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई। हालांकि, मार्च 2023 में राजस्थान हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते आरोपियों को बरी कर दिया था। फिर 5 अप्रैल 2025 को विशेष कोर्ट ने चारों आरोपियों को ‘जिंदा बम मामले’ में दोषी ठहराया और 8 अप्रैल 2025 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
यह फैसला उन 63 निर्दोष लोगों के परिवारों के लिए कुछ हद तक न्याय का प्रतीक हो सकता है, जिन्होंने 13 मई 2008 को अपनी जान गंवाई थी। इस फैसले ने साबित कर दिया कि समय भले ही बीत जाए, लेकिन न्याय की प्रक्रिया कभी नहीं रुकती। हालांकि, यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि जो दर्द और आघात उन परिवारों ने सहा, उसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।