इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ का आह्वान: भारत में ऑटोमोटिव सेंसर का स्वदेशीकरण जरूरी

ISRO Chairman S.Somnath, ISRO
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Bengaluru Tech Summit S Somanath: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाले इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ ने अब ऑटोमोटिव सेंसर (Automotive Sensors) निर्माण के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत पर जोर दिया है। बेंगलुरु प्रौद्योगिकी सम्मेलन में आयोजित एक सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि भारत में कार सेंसर के निर्माण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके।

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ऑटोमोटिव सेंसर आयात पर निर्भरता- Bengaluru Tech Summit S Somanath

सोमनाथ ने कहा कि आजकल कारों में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सेंसर आयात किए जाते हैं, जबकि इसरो पहले से ही भारत में ही अपने रॉकेट के लिए विश्वस्तरीय सेंसर बना रहा है। उन्होंने इसकी वजह ऑटोमोबाइल क्षेत्र (Sensors for Car) में स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं की कमी बताई।

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सस्ती उत्पादन की चुनौती

इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत में सेंसर निर्माण की उच्च लागत सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने बताया कि अगर उत्पादन लागत कम की जाए और विनिर्माण स्तर बढ़ाया जाए तो भारत में सेंसर निर्माण संभव है। इससे न केवल लागत कम होगी बल्कि स्वदेशी तकनीक को भी बढ़ावा मिलेगा।

उद्योग जगत से सहयोग की अपील

सोमनाथ ने इस चुनौती का समाधान खोजने में उद्योग जगत से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों ने निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है। उन्होंने 2020 में लागू किए गए अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों और 2023 की अंतरिक्ष नीति की सराहना की, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निजी भागीदारी बढ़ी है।

भारत में स्पेसएक्स जैसा मॉडल विकसित करने की योजना

सोमनाथ ने बताया कि वर्तमान में कई भारतीय कंपनियां रॉकेट और सैटेलाइट के लिए सब-सिस्टम विकसित कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में ‘स्पेसएक्स’ जैसा मॉडल (SpaceX like Model in India) बनाने की दिशा में रुचि तेजी से बढ़ रही है। पांच कंपनियां पहले से ही सैटेलाइट निर्माण में शामिल हैं, और कई अन्य इस क्षेत्र में कदम रख रही हैं।

कर्नाटक की अंतरिक्ष नीति का मसौदा जारी

कार्यक्रम के दौरान कर्नाटक सरकार ने अपनी अंतरिक्ष नीति का मसौदा भी जारी किया। आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य कर्नाटक को राष्ट्रीय अंतरिक्ष बाजार में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी दिलाना और इसे वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का केंद्र बनाना है।

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मुख्य वक्ताओं की भागीदारी

डीआरडीओ के महानिदेशक बी.के. दास और अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऐनी न्यूबर्गर ने भी इस सत्र में भाग लिया। दोनों ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास और वैश्विक सुरक्षा पर इसके प्रभाव पर चर्चा की।

भारत नवाचार और स्वदेशीकरण की ओर बढ़ रहा है

सोमनाथ ने कहा कि स्वदेशी तकनीक न केवल आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि नवाचार को प्रोत्साहित करने का एक माध्यम भी है। उन्होंने कहा, “हर चीज को स्वदेशी बनाना हमारे हित में नहीं है, लेकिन कम से कम यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हम अपनी प्राथमिक जरूरतों के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर हों।”

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