एक ऐसी लड़की, जिसने अपनी छोटी सी उम्र में ही ये ख्याब देखा कि उसे बड़ी होकर पुलिस में ही जाना है और उसी के जरिए देश की सेवा करनी है। उस लड़की का जज्बा ऐसा कि उसने अपने ख्याब को पूरा भी किया और बन गई IPS ऑफिसर और करने लगी देश की सेवा। हालांकि बस उसका ख्याब ही उसे इस मुकाम पर नहीं ले आया बल्कि उसके जीवन में एक ऐसा घटना हुई जिसने उस लड़की को अंदर तक झकझोंरा और इंस्पायर किया पुलिस अधिकारी बनने को।
बचपन में हुई घटना ने बदल दी जिंदगी
दरअसल, छोटी सी उम्र में बस में महिला के साथ छेड़छाड़ देखी उस मासूम ने तो न सिर्फ उन्हें सबक सिखाया यहां तक कि उसी दिन से उस कम उम्र बच्ची ने पुलिस सर्विस में जाने की ठानी। सर्वेश्रेष्ठ आईपीएस ट्रेनी का खिताब जीत चुकी काबिल IPS ऑफिसर शालिनी अग्निहोत्री की कहानी आ हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं…
बस कंडक्टर की बेटी बनीं IPS
एक बस कंडक्टर की बेटी कड़ी मेहनत करती है और खुद को आसमान छू लेने के काबिल बनाती है। जिससे अपराधी कांपते हैं और जिसे सच्चाई और इमानदारी सराहती है। हिमाचल के ऊना के दूरदराज में एक गांव है ठठ्ठल जहां की आईपीएस ऑफिसर शालिनी अग्निहोत्री है और वो एक ऐसा नाम है जो न सिर्फ एक मिसाल बन गई हैं, बल्कि क्रिमिनल्स के लिए काल भी बन गई हैं।
शालिनी ने जीते कई खिताब
शालिनी के काम करने का तरीका ही ऐसा है कि नशे के कारोबारी उनसे खौफ खाते हैं। कुल्लू में जब उनकी पोस्टिंग थी तब उस वक्त नशे के कारोबारियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ा था। ट्रेनिंग के दौरान IPS की सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब 30 साल की शालिनी ने ही जीता। जिसकी वजह से प्रधानमंत्री के प्रतिष्ठित बेटन साथ ही गृह मंत्री की रिवॉल्वर भी उन्हें दी गई। सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रेनी आफिसर होने की वजह से उन्हें देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मानित भी किया। शालिनी की ये उपलब्धि ही थी कि राष्ट्रपति की मौजूदगी में हुए पासिंग आउट परेड में वो आकर्षण बनी रहीं।
सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंड महिला ऑफिसर ट्रेनी की वंदना मलिक ट्रॉफी भी शालिनी ने हासिल की है। एलबी सेवा ट्रॉफी जो कि आउटर सब्जेक्ट में सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी को दी जाती है वो भी शालिनी ने ही हासिल की थी। अलका सिन्हा ट्रॉफी जो कि जांच के लिए दी जाती है वो भी शालिनी को मिली। पढ़ाई के अलावा दूसरे एक्टिवीटिज में जीएस आर्या ट्रॉफी दी जाती ह और इसको भी शालिनी ने अपने नाम किया।
IPS बनने की ठानी और फिर…
शालिनी बेहद सिंपल फैमिली से आती हैं। एक कंडक्टर के तौर पर उनके पिता रमेश एचआरटीसी बस में काम करते हैं और मां होममेकर हैं। शालिनी 14 जनवरी 1989 में पैदा हुई और बचपन से ही उनके माता पिता ने किसी बात के लिए इनकार नहीं किया यहां तक की जिंदगी जीने की उनको पूरी आजादी दी गई। शालिनी हमेशा से ही पढ़ाई के मामले में मेहनती रही। धर्मशाला के DAV स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की और आगे उन्होंने हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से स्टडी को बढ़ाया। यहीं से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री ली।
IPS ऑफिसर बनने के बाद शालिनी ने बताया था कि उन्होंने UPSC की तैयारी के बारे में जब सोचा को किसी को इस बारे में बताया नहीं बल्कि ऑफिसर बनने का पक्के तौर पर तय किया और आत्मविश्वास के साथ मई 2011 में उन्होंने UPSC की परीक्षा दी और इंटरव्यू मार्च 2012 में दिया और इसका रिजल्ट उसी साल मई में आ गया जो कि शालिनी के लिए उनके मेहनत का फल था। सिविल सेवा परीक्षा में शालिनी अग्निहोत्री ने 285वा रैंक हासिल किया था।
ट्रेनिंग पूरी होने पर उन्होंने पहली पोस्टिंग हिमाचल में दी गई और कुल्लू में पुलिस अधीक्षक का पद उनके द्वारा संभालना क्रिमिनल्स के लिए दहशत का माहौल पैदा कर चुका था। जब शालिनी ने नशेखोरी के खिलाफ अभियान शुरू किया तब वो काफी सुर्खियों में रहीं। कुल्लू में भी पोस्टेड होने के दौरान कुल्लू गुड़िया कांड को सुलझाकर उन्होंने खूब वाहवाही हासिल की थी। शालिनी के मुताबिक वो दो बहनें और एक भाई हैं। बड़ी बहन डॉक्टर और भाई इंडियन आर्मी में है। बस्ती जिले के एसपी पद पर रहे संकल्प शर्मा शालिनी के पति हैं।