बड़ी संस्था में काम करने का सपना कौन नहीं देखता और अगर Google जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की बात हो तो क्या ही कहने। लेकिन आज जिस शख्सियत के बारे में आपको हम बताने जा रहे है उनके बारे में जानकर आप भी कहेंगे कि कुछ कर गुजरने का जुनून ऐसा भी होता है क्या। दरअसल, उस शख्स ने प्रतिष्ठित संस्थान गूगल में अपनी जॉब को छोड़ दिया और फिर बन गए IAS ऑफिसर और करने लगे समाज और देश की सेवा। चलिए उस जूनूनी ऑफिसर के बारे में और डिटेल से जानते हैं…
अनुदीप दुरीशेट्टी साल 1989 में तेलंगाना के जगितल में पैदा हुए। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। ऐसा बताया जाता है कि अपनी शुरुआत की स्टडी अपने होम डिस्ट्रिक्ट से अनुदीप ने की फिर स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने साल 2011 में बिट्स पिलानी, राजस्थान से ग्रेजुएशन किया और ये डिग्री उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन में ली।
अनुदीप को मिल गई गूगल में नौकरी
यही वक्त था जब अनुदीप का झुकाव सिविल सेवा की ओर हुआ। फिर क्या था उन्होंने तैयारी की और 2012 में पहली बार यूपीएससी एग्जाम में बैठ गए। वैसे पहली दफा उनको कामयाबी हाथ नहीं लगी। फिर अनुदीप दुरीशेट्टी ने नौकरी करनी शुरू की जानी-मानी और प्रतिष्ठित संस्थान Google में। हैदराबाद में वो गूगल के साथ जुड़कर काम करने लगे पर इसके साथ साथ उन्होंने यूपीएसी की तैयारी भी जारी रखी।
नौकरी के साथ-साथ परीक्षा के लिए तैयारी करना इतना आसान नहीं था अनुदीप के लिए, लेकिन फिर भी वो टाइम निकालकर अपने लक्ष्य पर फोकस कर ही लेते थे। अनुदीप ने एक इंटरव्यू के दौरान ये बात बताई थी कि वीकेंड में अपनी पढ़ाई पर पूरा जोर लगा देते थे।
…तो छोड़ दी जॉब और
साल 2013 था जब अनुदीप ने यूपीएससी के एग्जाम को पास कर लिया, लेकिन रैंक पीछे थी ऐसे में उनको आईआरएस सेवा अलॉट किया गया, फिर क्या था अनुदीप ने गूगल की नौकरी छोड़ दी और बतौर कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज ऑफिसर पद संभाला। अब आपको लग रहा होगा कि अनुदीप की कहानी इसी सफलता तक है। नहीं नहीं अनुदीप की कहानी और आगे भी है।
फिर आखिरकार पा ली कामयाबी
अनुदीप दुरीशेट्टी ने कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज ऑफिसर को पद संभाल तो लिया, लेकिन IAS बनने के अपने सपने को वो अधूरा छोड़ने को राजी नहीं थे। इस सपने के पीछे उनकी मेहनत अब भी जारी थी और इस मेहनत का जो फल मिला वो कुछ इस तरह था कि अनुदीप का ऑप्शनल था एंथ्रोपोलॉजी। उनका ये सब्जेक्ट पसंदीदा था तो उन्होंने यही चुना। कड़ी मेहनत और कोशिश के बाद भी अनुदीप तीसरी और चौथी कोशिश में भी कामयाब नहीं हुए, लेकिन उन्होंने हार फिर भी नहीं मानी अंतिम कोशिश में उन्होंने आखिरकार कामयाबी पा ही ली और बन गए आईएएस ऑफिसर।