भारत के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज यानि कि 31 दिसंबर, मंगलवार को रिटायर हो गए. 31 दिसंबर को ही ये चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पदभार ग्रहण करने जा रहे हैं, जिसके बाद ये देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(CDS) होंगे.
आपको बता दें कि इसी साल यानी 2019 में देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश की 3 सेनाओं में तालमेल को और अच्छा बनाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि कि CDS का नया पद बनाने की घोषणा की थी ऐलान किया था. जिसके बाद से सबसे सीनियर मिलिट्री कमांडर होने के कारण सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को लेकर ये कयास लगाया जा रहा था कि वो देश के पहले CDS बनेंगे.
भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सेनाध्यक्ष के रूप में अपना तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करके 31 दिसंबर को रिटायर हो गए हैं, इसके बाद वो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद संभालेंगे. जिसके चलते वो 3 साल तक तक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद पर रहेंगे.
CDS की क्या होगी भूमिका
तीनों सेनाओं में तालमेल को और अच्छे बनाने हेतु जल्दी ही सैन्य मामलों का विभाग(Department Of Military Affairs) का गठन किया जाए, जोकि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(CDS) की सबसे अहम जिम्मेदारी होगी. इसके चीफ सीडीएस होंगे.
वहीं, CDS की दूसरी भूमिका चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष की होगी. इसमें सशस्त्र सेनाओं के ऑपरेशंस में आपसी तालमेल और इसके लिए वित्त प्रबंधन की होगी.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तीनों सेनाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर रक्षा मंत्री के प्रिसिंपल मिलिट्री एडवाइजर भी होंगे. इसमें सीडीएस सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के जैसे ही 4 स्टार वाले ऑफिसर होंगे, मगर प्रोटोकॉल में आगे होंगे.
भविष्य में कोई सरकारी पद नहीं
सूत्रों के अनुसार, सीडीएस के पास तीनों सेनाओं के प्रशासनिक मुद्दों को लेकर निर्णय लेने की शक्ति होगी, हालांकि वो किसी तरह की कोई मिलिट्री कमांड नहीं दे पाएंगे. इसमें सबसे जरूरी बात सीडीएस के लिए ये होगी कि इस पद पर होने के बाद वो किसी सरकारी पद पर नहीं रह पाएंगे.
इस पद की क्यों पड़ी जरूरत
कारगिल युद्ध के बाद साल 2001 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बनी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की समीक्षा गई तो उसमें तीनों सेना के बीच तालमेल में कमी पाई गई. अगर तीनों सेनाओं के बीच का तालमेल अच्छा होता तो कारगिल युद्ध के दौरान नुकसान को कम किया जा सकता था.
उस दौरान सीडीएस का पद बनाने को लेकर सुझाव दिया गया था, लेकिन उस वक्त राजनीतिक सहमति न होने के कारण ये कार्य पूर्ण न हो सका था. वो बात अलग है कि अब इसे मोदी सरकार ने पूरा कर CDS की जिम्मेदारियां तय करने के बाद चीफ का ऐलान भी कर दिया है.
रक्षा मंत्रालय ने बदले नियम
केंद्र सरकार की तरफ से जनरल बिपिन रावत को भारत के पहले CDS के तौर पर नियुक्त करने की मंशा जाहिर होने के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा सेना नियमों, 1954 में कार्यकाल और सेवा के नियमों में बदलाव किया गया. 28 दिसंबर, शनिवार की रक्षा मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा कि सीडीएस या ट्राई-सर्विसेज प्रमुख 65 साल की आयु तक सेवा दे सकेंगे. जिसके चलते 62 साल के जनरल बिपिन रावत सीडीएस के तौर पर 65 साल की उम्र तक रहेंगे.
CDS वाला भारत पहला देश नहीं
आपको बता दें कि दुनिया में कई अन्य देश भी हैं जहां सीडीएस व्यवस्था पहले से ही है. नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन(NATO) के 29 देशों में ऐसे कई देश हैं जहां इस व्यवस्था में अपनी सेनाओं के सर्वोच्च पद पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया हैं. जिनकी शक्तियां देश के सशस्त्र बल में काफी अधिक होती हैं. बता दें कि इटली,यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस समेत लगभग 10 देशों में सीडीएस की व्यवस्था रही है, जिसमें अब भारत का नाम भी शामिल हो गया है. यूं तो सभी देश अपने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को विभन्न शक्तियां प्रदान करता है.