Indian workers in Israel: उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Uttar Pradesh Assembly Winter session) के दूसरे दिन मंगलवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 17865.72 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने इस दौरान इजराइल में रोजगार के मुद्दे पर चर्चा करते हुए प्रदेश के 5600 से अधिक युवाओं के इजराइल जाने का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इन युवाओं को इजराइल में निर्माण कार्य के लिए डेढ़ लाख रुपये मासिक वेतन के साथ फ्री रहने और खाने की व्यवस्था दी जा रही है।
और पढ़ें: Supreme Court: राजनीतिक दलों पर POSH एक्ट लागू करने की याचिका खारिज, चुनाव आयोग को दी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री योगी का दावा– Indian workers in Israel
सीएम योगी ने कहा, “हम उत्तर प्रदेश के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं। वहां उनकी कड़ी मेहनत और स्किल की दुनिया तारीफ कर रही है। इजराइल के राजदूत ने भी और युवाओं को बुलाने की इच्छा जताई है।” उन्होंने इसे प्रदेश के विकास और युवाओं की कुशलता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का प्रमाण बताया।
भारत सरकार खुद भारतीयों को सलाह दे रही है कि वे इज़राइल की यात्रा न करें। यह तो भाजपा के राज्य और केंद्रीय सरकारों की नाकामी का ठोस सबूत है कि मजबूर गरीब लोगों को इज़राइल जैसी जगह काम पर जाना पड़ रहा है। अगर यहाँ रोजगार के अवसर होते तो कोई इज़राइल मजदूरी करने क्यों जाता? योगी… https://t.co/SvscR265Gt
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 17, 2024
प्रियंका गांधी पर तंज
इसी दौरान सीएम योगी ने प्रियंका गांधी वाड्रा पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस की एक नेता संसद में फिलिस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं, जबकि हम यूपी के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं। यही हमारी और कांग्रेस की सोच का फर्क है।”
इजराइल में भारतीयों की दुर्दशा
हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट और अन्य स्रोतों से इजराइल में भारतीय मजदूरों की स्थिति को लेकर एक अलग तस्वीर सामने आई है। गाजा युद्ध के चलते इजराइल ने फलस्तीनी मजदूरों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे निर्माण कार्य ठप हो गया। इसके बाद इजराइल ने भारत से हजारों मजदूरों को बुलाने की योजना बनाई।
मुख्य समस्याएं
सरकार-सरकार के बीच डील के तहत गए कई भारतीय मजदूर अकुशल निकले। इनमें से कुछ मजदूर किसानी और बाल काटने जैसे काम करते थे और उन्हें निर्माण क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं था। वहीं, कई मजदूरों को भाषा की समस्या के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इनके प्रदर्शन से इजराइल के उद्योगों ने निराशा जताई है। जिस वजह से करीब 600 मजदूरों को वापस भारत लौटना पड़ा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 5,000 लोगों की भर्ती दो तरीकों से की गई। एक तरीका सरकार से सरकार के बीच और दूसरा व्यवसाय से व्यवसाय के बीच।
भारी भरकम सैलरी पर इजरायल गए थे भारतीय
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार-से-सरकार के बीच हुए सौदों के ज़रिए भर्ती किए गए लोगों को अकुशलता के कारण ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन भारतीय कामगारों को तमाम कटौतियों के बाद भी 1.9 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा था। अब जो लोग अपने काम में असफल साबित हो रहे हैं, उन्हें बहुत कम पैसे में काम करके गुज़ारा करना पड़ रहा है।
चीन और अन्य देशों से मजदूरों की मांग
इजरायली कंपनियां अब चीन, उज्बेकिस्तान और अन्य देशों से मजदूर बुला रही हैं। भारतीय मजदूरों को लेकर उनकी धारणा खराब हो गई है।
तनाव और भविष्य की चुनौतियां
इजराइल में कई भारतीय मजदूर अब सफाई और अन्य सामान्य कार्यों में लगाए जा रहे हैं। इजरायली निर्माण क्षेत्र में भारतीय मजदूरों की प्रतिष्ठा को बड़ा झटका लगा है। इस स्थिति ने भविष्य में भारतीय श्रमिकों की विदेशों में भर्ती के लिए संकट खड़ा कर दिया है।
और पढ़ें: भाजपा द्वारा राहुल गांधी पर लगाए गए आरोपों पर क्यों भड़क उठा अमेरिका? जानें क्या है ये पूरा विवाद