Indian stock market News: 2025 की शुरुआत से ही भारतीय शेयर बाजार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली की चपेट में है। आंकड़ों के अनुसार, अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयरों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है, जिससे बाजार में गिरावट का दौर जारी है। दूसरी ओर, चीन में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ रहा है।
भारत से पैसा बाहर, चीन में निवेश बढ़ा- Indian stock market News
विश्लेषकों का मानना है कि रुपये की गिरावट, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और भारतीय कंपनियों के कमजोर वित्तीय नतीजों के चलते एफपीआई लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो बाजार में वापसी मुश्किल होगी और निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
एलारा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, यह लगातार पांचवां महीना है जब भारत से विदेशी निवेशकों द्वारा निकासी जारी है। बीते सप्ताह लगभग 40.5 करोड़ डॉलर की निकासी हुई, जिसमें से 23.8 करोड़ डॉलर ‘डेडिकेटेड फंड्स’ द्वारा निकाले गए। ब्रिटेन, आयरलैंड, लक्ज़मबर्ग और जापान से भी भारी निकासी देखी गई है।
चीन में विदेशी निवेशकों की वापसी
जहां भारत में एफपीआई की बिकवाली जारी है, वहीं चीन में निवेश का माहौल सकारात्मक नजर आ रहा है। बीते दो हफ्तों में चीन में विदेशी निवेशकों ने 57.3 करोड़ डॉलर का निवेश किया, जो अक्टूबर 2024 के बाद से अब तक का सबसे अधिक निवेश है। ग्लोबल फंड मैनेजर्स अब भारत की बजाय चीन को तरजीह दे रहे हैं, जिससे भारत में एफपीआई का बहाव कमजोर पड़ रहा है।
रुपये की गिरावट और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बनी चिंता की वजह
शुक्रवार को भारतीय रुपया 86.85 प्रति डॉलर के स्तर पर था, जो इसे और कमजोर बना रहा है। अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण भारतीय बाजार में निवेशकों को मिलने वाला रिटर्न कम आकर्षक लग रहा है। इसके अलावा, भारतीय कंपनियों के लगातार कमजोर तिमाही नतीजों ने भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है।
विशेषज्ञों की राय: बाजार में उतार-चढ़ाव रहेगा जारी
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि “जब तक एफपीआई बिकवाली जारी रखेंगे, तब तक भारतीय शेयर बाजार में तेजी की संभावना कम है। डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट ही एफपीआई को दोबारा निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकती है।”
एनएसडीएल (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने जनवरी 2025 में 7,8027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि फरवरी में यह आंकड़ा 19,077 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह दर्शाता है कि एफपीआई भारतीय बाजार में जोखिम उठाने से बच रहे हैं।
मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) प्रशांत तापसे का कहना है कि “एफपीआई की लगातार बिकवाली के कारण भारतीय बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है।”
भारत में विदेशी निवेशकों की बिकवाली और चीन में निवेश बढ़ने से वैश्विक निवेश ट्रेंड में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारतीय शेयर बाजार के लिए आगे का सफर चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
(अस्वीकरण: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, नेड्रिक न्यूज के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श करें क्योंकि शेयर बाजार की स्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)