देश में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। कई राज्यों में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है लेकिन हालात अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश में पिछले 24 घंटे में 4.12 लाख नए मामले सामने आए हैं और संक्रमण के कारण 3980 लोगों की मौत हो गई है।
हालात दिन प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। कोरोना की पुष्टि के लिए मरीजों के द्वारा कराए जा रहे सीटी स्कैन को पिछले दिनों एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने गलत ठहराया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि इससे कैंसर का खतरा पैदा हो सकता है क्योंकि एक सीटी स्कैन कराना 300-400 एक्स-रे एक साथ कराने के समान है।
अब इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) ने बीते दिन बुधवार को एक बयान जारी कर साफ कर दिया कि सीटी स्कैन से इतना डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। IRIA ने उनके इस बयान को गलत करार दिया।
जानें एसोसिएशन ने क्या प्रतिक्रिया दी?
IRIA के अध्यक्ष डॉ. सी अमरनाथ ने डॉ गुलेरिया के बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि NKRH के सीटी स्कैन से न केवल संक्रमण की गंभीरता का पता चल पाता है, बल्कि इसके आगे के लिए कोविड मैनेजमेंट की प्रभावी योजना बनाने में भी काफी मदद मिलती है।
उन्होंने कहा, इतनी वरिष्ठ हेल्थ अथॉरिटीज की तरफ से इस तरह का अवैज्ञानिक और गैर-जिम्मेदाराना बयान देना लोगों के बीच भ्रम की स्थिति को और बढ़ाने का ही काम करेगा और इससे कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई को भी नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयानों से बचा जाना चाहिए, क्योंकि लोग पहले से ही कोविड की वजह से काफी परेशान हैं।
कैंसर की सभावना बहुत कम
IRIA की ओर से जारी बयान में कहा गया कि डॉ रणदीप गुलेरिया का बयान लोगों को गुमराह करने वाला और कन्फ्यूजन को और बढ़ाने वाला बयान है और उसका कोई ठोस वैज्ञानिक आधार भी नहीं है। खासतौर से छाती के एक सीटी स्कैन को 300-400 एक्स-रे के बराबर बताना और उसकी वजह से कैंसर का खतरा पैदा होने की चेतावनी देना पूरी तरह गलत और आउटडेटेड है।
एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह बहुत पुरानी बात है। ऐसी स्थिति 30-40 साल पहले हुआ करती थी, जबकि आज के आधुनिक युग में जिन सीटी स्कैनरों का उपयोग जांच के लिए किया जाता है।
उनमें अल्ट्रा लो डोज यानी बेहद कम या हल्की रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है, जो तुलनात्मक रूप से केवल 5-10 एक्स-रे के बराबर होती है। इसलिए इससे किसी तरह का खतरा होने या कैंसर की संभावना बढ़ने की संभावना बहुत कम होती है।