Indian Education System: 29 मार्च को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें एक कक्षा नौ की छात्रा ने अपने स्कूल में फीस का बकाया होने की वजह से आत्मघाती कदम उठाया। घटना साउथ यूपी के पितईपुर मानधाता इलाके की है, जहां कमला शरण इंटर कॉलेज में पढ़ाई कर रही 17 वर्षीय रिया प्रजापति ने परीक्षा से बाहर होने के बाद फंदे से लटककर जान दे दी। उसकी मां ने आरोप लगाया कि फीस के बकाए की वजह से स्कूल प्रशासन ने उसे अपमानित किया और परीक्षा से बाहर किया, जिससे दुखी होकर उसने यह खौफनाक कदम उठाया।
क्या था पूरा मामला? (Indian Education System)
रिया प्रजापति की मां पूनम देवी के मुताबिक, रिया ने शनिवार को स्कूल में परीक्षा देने के लिए घर से सुबह आठ बजे स्कूल के लिए निकली थी। हालांकि, स्कूल में उसके बकाए फीस के कारण उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया। स्कूल के प्रबंधक, बड़े बाबू और अन्य कर्मचारियों ने उसे अपमानित किया और परीक्षा से बाहर कर दिया। रिया को यह अपमान सहन नहीं हुआ और उसने घर आकर अपने कमरे में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। रिया चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी, और उसके पिता दिल्ली में मजदूरी करते हैं।
“रिया अब कभी स्कूल नहीं जाएगी…”😥
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने पर उसे परीक्षा से बाहर कर दिया और अपमानित किया।
क्या यही है हमारी “नई शिक्षा नीति”?
क्या यही है वो “समावेशी… pic.twitter.com/mfyTtG62S9— बेसिक शिक्षा सूचना केंद्र (@Info_4Education) April 6, 2025
पुलिस कार्रवाई और प्रशासनिक जांच
इस घटना के बाद रिया की मां पूनम देवी ने पुलिस में तहरीर दी और स्कूल प्रशासन के खिलाफ आरोप लगाया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, स्कूल के प्रबंधक सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। डीएम शिव सहाय अवस्थी के निर्देश पर एसडीएम सदर, सीओ और डीआईओएस की टीम ने स्कूल पहुंच कर जांच की और अपनी रिपोर्ट डीएम को भेजी है। जांच में यह बात सामने आई कि स्कूल में अधिकांश बच्चों की फीस बकाया थी, लेकिन फिर भी उन्हें परीक्षा से बाहर नहीं किया गया।
फीस का बकाया होने के बावजूद परीक्षा में शामिल हुए बच्चे
जांच के दौरान पता चला कि स्कूल में कक्षा नौ के 80 छात्रों और कक्षा 11 के 43 छात्रों के फीस में बकाया था, लेकिन उन्हें परीक्षा से बाहर नहीं किया गया। रिया का भाई, जो कक्षा 11 का छात्र है, भी परीक्षा दे रहा था, जबकि उसकी फीस 1500 रुपये बकाया थी। यह सवाल उठता है कि क्यों रिया को फीस के बकाए के बावजूद परीक्षा से बाहर किया गया जबकि बाकी छात्रों को नहीं?
क्या यही है ‘नई शिक्षा नीति’ और ‘समावेशी भारत’?
इस दुखद घटना ने एक बड़ा सवाल उठाया है – क्या यही है हमारा समावेशी भारत, जहां हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार है? जब हम डिजिटल इंडिया, AI में तरक्की और चाँद पर जाने की बातें करते हैं, तो क्या यह हमारे समाज की संवेदनशीलता को दर्शाता है? क्या शिक्षा अब केवल अमीरों की ही जागीर बनकर रह गई है? क्या हमारी प्राथमिकता केवल फीस वसूली, बिल्डिंग चार्ज और अन्य खर्चों के रूप में बदल गई है?
प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को एक बड़े व्यापार में बदल दिया है, जहां गरीब बच्चों के आत्मसम्मान को रौंदा जा रहा है। मनमानी फीस, किताबें और यूनिफॉर्म के नाम पर लूट मची हुई है, और शिक्षक व प्रबंधन द्वारा बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। रिया की मौत ने यह सवाल उठाया है कि आखिर उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है?
समाज के लिए एक गहरी सोच
रिया जैसी हजारों छात्राएं और छात्र आज भी इस मानसिकता का शिकार हो रहे हैं। वे चुप हैं, टूट रहे हैं और उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में किसी से बात करने का साहस नहीं है। इस घटना ने समाज को एक गंभीर चेतावनी दी है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है और बच्चों की मानसिक स्थिति को समझने की जरूरत है।
आवाज उठाने का समय
रिया तो चली गई, लेकिन उसका सवाल हमारे सामने है। क्या हम अगली रिया को बचा पाएंगे? क्या हम इसे सिर्फ एक दुर्घटना मानकर चुप रह जाएंगे, या फिर इस मुद्दे पर आवाज उठाएंगे और बदलाव के लिए कदम उठाएंगे? यह समय है जब हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को फिर से परिभाषित करने और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें यह समझना होगा कि बच्चों की शिक्षा का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है और यह अधिकार किसी भी परिस्थिति में कम नहीं होना चाहिए।
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