India-Switzerland MFN Details: स्विस सरकार ने भारत और स्विट्जरलैंड के बीच दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) के तहत मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) खंड को निलंबित कर दिया है। यह निर्णय 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसके परिणामस्वरूप स्विट्जरलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को लाभांश और अन्य आय पर 10% कर देना होगा, जो वर्तमान में 5% है। यह बदलाव भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता और स्विस निवेश पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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MFN खंड का निलंबन: भारतीय कंपनियों पर प्रभाव (India-Switzerland MFN Details)
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, यह निर्णय विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स, और आईटी क्षेत्रों में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को कर संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर करेगा। स्विट्जरलैंड के इस कदम ने भारत को अपनी अंतरराष्ट्रीय कराधान संधियों की समीक्षा करने और उन्हें आधुनिक व्यापारिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
क्या है MFN और इसका महत्व? (What is MFN)
MFN (मोस्ट फेवर्ड नेशन) खंड का उद्देश्य व्यापारिक भागीदारों के बीच समानता सुनिश्चित करना है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य देशों को एक-दूसरे को MFN का दर्जा देना होता है।
- यह दर्जा देशों को बिना भेदभाव के व्यापारिक लाभ प्रदान करता है।
- हालांकि, सुरक्षा संबंधी विवादों के चलते किसी देश से यह दर्जा छीना जा सकता है।
MFN का निलंबन क्यों हुआ?
स्विट्जरलैंड के वित्त विभाग ने कहा कि यह निर्णय भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद लिया गया, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई देश OECD (ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) में शामिल होने से पहले भारत के साथ कर संधि करता है, तो MFN खंड स्वतः लागू नहीं होता।
स्विट्जरलैंड में भारतीय कंपनियों के लिए झटका
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि MFN खंड के निलंबन से भारतीय कंपनियों को मिलने वाला 5% की कम कर दर का लाभ अब समाप्त हो जाएगा। नई 10% कर दर से भारतीय कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।
भारत की कर संधियों में सुधार की आवश्यकता
श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि भारत को अपनी कर संधियों की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि डिजिटल और सेवा क्षेत्र की बढ़ती वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए कर संधियों को अपडेट करना चाहिए, जिससे दोहरा कराधान और अनुपालन समस्याओं को कम किया जा सके।
भारत-स्विट्जरलैंड व्यापार संबंध
भारत और स्विट्जरलैंड के बीच DTAA पहली बार 2 नवंबर 1994 को हुआ था, जिसे 2000 और 2010 में संशोधित किया गया। स्विट्जरलैंड भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है:
- 2023-24 में भारत का स्विट्जरलैंड से आयात 21.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर और निर्यात 1.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- यह व्यापार घाटा 19.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
अन्य देशों से भी विवाद का उदाहरण
- भारत-ऑस्ट्रेलिया DTAA के तहत सॉफ्टवेयर कंपनियों को रॉयल्टी वर्गीकरण से संबंधित कर विवादों का सामना करना पड़ा।
- ऑस्ट्रेलिया ने सॉफ्टवेयर लाइसेंस और सेवाओं के भुगतान पर स्रोत कराधान लागू किया, जिससे अनुपालन समस्याएं पैदा हुईं।
भविष्य के लिए संकेत
स्विट्जरलैंड के इस निर्णय से भारत के लिए यह स्पष्ट संदेश है कि कर संधियों को अधिक रणनीतिक और सुसंगत बनाया जाए। इसके साथ ही, डिजिटल और सेवा क्षेत्रों में उभरती चुनौतियों का समाधान करते हुए, भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए।
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