India should occupy PoK: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत में गुस्से की लहर पैदा की है, बल्कि पाकिस्तान में भी एक तबका इस हमले पर नाराजगी जता रहा है। इस हमले के बाद पाकिस्तान से यह मांग की जा रही है कि वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर भारत का कब्जा स्वीकार करे और वहां पनप रहे आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाए।
भारत सरकार ने इस हमले के बाद पाकिस्तान पर सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान के हुक्मरान बौखला गए हैं, और अब पाकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन, सीनेट ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित कर भारत के आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि, अब वहां के लोग शहबाज सरकार को निशाने पर ले रहे हैं और उनसे जवाब मांग रहे हैं।
PoK के कार्यकर्ता ने उठाया अहम सवाल- India should occupy PoK
इस बीच, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के राजनीतिक कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने इस आतंकी हमले को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कश्मीर के सैलानियों पर हमले करके कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर सीधा हमला किया है। मिर्जा के अनुसार, पाकिस्तान को कश्मीर की तरक्की बर्दाश्त नहीं हो रही है। उन्हें यह देखना रास नहीं आ रहा कि कश्मीर के भारतीय हिस्से में विकास हो रहा है। वहां सड़कों का निर्माण, ब्रिजों का निर्माण, और आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोग गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।
मिर्जा का कहना है, “पाकिस्तान कश्मीर के विकास को लेकर जल रहा था। कश्मीर में हो रहे बदलावों ने पाकिस्तानी हुक्मरानों को परेशान कर दिया था। उनका मानना था कि कश्मीर में हो रही तरक्की उनका सपना चूर-चूर कर रही है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पीओके के अंदर स्थितियां बहुत ही दयनीय हैं। वहां के लोग 14-14 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण परेशान हैं और कई लोग आत्महत्या की धमकियां दे रहे हैं। मिर्जा के अनुसार, यह पाकिस्तान की ही कुटिल रणनीति का हिस्सा था कि उसने कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया, ताकि कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर हमला किया जा सके।
भारत का स्पष्ट संदेश
अमजद अयूब मिर्जा ने भारत सरकार से एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) दोनों को अपने नियंत्रण में ले और इस क्षेत्र में आतंकवाद का खात्मा करे। उनका मानना है कि यही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
पाकिस्तान की रणनीति पर सवाल उठाते हुए मिर्जा ने कहा कि
पाकिस्तान सरकार ने शिमला समझौते को नकारा और सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। इससे अब भारत के पास यह अवसर है कि वह जब चाहे, तब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में दाखिल हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करके खुद ही अपनी स्थिति कमजोर कर ली है। मिर्जा ने कहा, “अब पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, क्योंकि यह समझौता रद्द करने का मतलब है कि पाकिस्तान को वापस सीजफायर लाइन के पार आना होगा और लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) की सीमा का पालन करना होगा।”
शिमला समझौते का ऐतिहासिक महत्व
गौरतलब है कि शिमला समझौता 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसमें दोनों देशों ने सीजफायर लाइन (LoC) का पालन करने की सहमति दी थी। इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान के 90,000 सैनिकों को बिना किसी शर्त के रिहा किया था, और पाकिस्तान ने पश्चिमी पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों को भारत को वापस करने का वादा किया था। मिर्जा का मानना है कि अब पाकिस्तान के शिमला समझौते से पीछे हटने का मतलब यह होगा कि पाकिस्तान को भारत के सामने उन सैनिकों को वापस करना होगा, जिन्हें भारत ने रिहा किया था, और साथ ही जिन क्षेत्रों को पाकिस्तान ने कब्जा किया था, उन्हें भी वापस करना होगा।