India Mission NCMM: भारत सरकार ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM) को मंजूरी देते हुए इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार कर ली है। इस मिशन के तहत सरकार 34,300 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिसमें से 16,300 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाएंगे, जबकि 18,000 करोड़ रुपये का निवेश सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा किया जाएगा। इस योजना के माध्यम से भारत महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) के आयात पर निर्भरता कम करेगा और उन्हें देश में ही खोजने, खनन करने और संसाधित करने की दिशा में कदम बढ़ाएगा।
कैसे करेगा भारत आत्मनिर्भरता हासिल? (India Mission NCMM)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन को मंजूरी दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि इस मिशन के तहत भारत के भीतर महत्वपूर्ण खनिजों की खोज को तेज किया जाएगा। भारत अभी तक इन खनिजों के लिए अन्य देशों, खासकर चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका पर निर्भर था, लेकिन इस मिशन के जरिए भारत खुद के संसाधनों का उपयोग कर आत्मनिर्भर बनेगा।
मिशन का उद्देश्य और रणनीति
इस मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, खनन, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना है। इसमें शामिल प्रमुख रणनीतियां निम्नलिखित हैं:
- नए खनिज भंडार की खोज: सरकार देश के भीतर ऐसी जगहों की खोज करेगी जहां तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और दुर्लभ खनिज (Rare Earth Elements) मिलने की संभावना है।
- रेगुलेटरी प्रक्रियाओं को तेज करना: खनन परियोजनाओं को त्वरित मंजूरी देने के लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाया जाएगा।
- खनिजों का पुनर्चक्रण: ‘ओवरबर्डन’ और ‘टेलिंग्स’ जैसे संसाधनों से खनिजों को दोबारा निकाला जाएगा।
- आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता: अगर भारत को अपनी जरूरत से अधिक खनिज भंडार मिलता है, तो वह अन्य देशों को इसका निर्यात भी कर सकेगा।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: इस मिशन में भारतीय कंपनियों को विदेशी खनिज संपत्तियों का अधिग्रहण करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
क्रिटिकल मिनरल्स: क्या होते हैं और कहां आते हैं काम?
क्रिटिकल मिनरल्स वे खनिज होते हैं जो औद्योगिक विकास, ऊर्जा उत्पादन और रक्षा क्षेत्र के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं लेकिन उनकी उपलब्धता सीमित होती है। भारत अभी तक इनमें से अधिकांश खनिजों को आयात करता रहा है।
इन खनिजों का उपयोग कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाता है:
- लिथियम और कोबाल्ट: इलेक्ट्रिक बैटरियों और रक्षा उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।
- निकेल: स्टेनलेस स्टील और ऊर्जा भंडारण के लिए महत्वपूर्ण है।
- ग्रेफाइट: बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- रेयर अर्थ एलिमेंट्स: मैग्नेट, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों में अहम भूमिका निभाते हैं।
कैसे गेम चेंजर बनेगा यह मिशन?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिशन भारत को वैश्विक खनिज बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है। वर्तमान में भारत महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका पर निर्भर है, लेकिन अगर भारत अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करता है, तो यह इन खनिजों का निर्यातक भी बन सकता है।
इस मिशन के लाभ:
✔ आयात निर्भरता घटेगी – भारत को खनिजों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
✔ ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा – इन खनिजों का उपयोग बैटरी निर्माण और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में होता है।
✔ रक्षा और तकनीकी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी – भारतीय रक्षा उपकरणों और उच्च तकनीक निर्माण उद्योग को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी।
✔ अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा – अगर भारत को जरूरत से अधिक खनिज मिलते हैं, तो वह उन्हें निर्यात करके वैश्विक बाजार में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की सूची और उनका उपयोग
भारत में क्रिटिकल मिनरल्स में मुख्य रूप से लिथियम, कोबाल्ट, निकेल, ग्रेफाइट, टाइटेनियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं। इनका उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है:
- लिथियम: इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों में उपयोग होता है।
- कोबाल्ट: हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों के लिए आवश्यक।
- निकेल: स्टेनलेस स्टील और ऊर्जा भंडारण के लिए महत्वपूर्ण।
- ग्रेफाइट: बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होता है।
- रेयर अर्थ एलिमेंट्स: इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्युनिकेशन और रक्षा क्षेत्र में उपयोग किए जाते हैं।
गृह मंत्री अमित शाह का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मिशन को भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत को “स्व-संचालित विकास और परिवर्तन इंजन” में बदल देगा। इसके अलावा, शाह ने यह भी कहा कि इस योजना से तेल आयात बिलों में कमी आएगी, वायु प्रदूषण घटेगा और कृषि क्षेत्र को भी फायदा होगा।
भारत के लिए यह मिशन क्यों महत्वपूर्ण है?
नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन भारत के लिए ऊर्जा, औद्योगिक विकास और आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी बल्कि यह ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा और हाई-टेक उद्योगों के लिए एक मजबूत सप्लाई चेन विकसित करेगा।
सरकार का यह मिशन देश को एक वैश्विक खनिज आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित कर सकता है, जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक मजबूत स्थिति बना सकेगा। अगर यह योजना सही तरीके से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत खुद को खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भर बनाकर वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और खनिज क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में उभर सकता है।