पिछले एक दशक से भारत में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। हर साल हजारों लोग कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं। अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि भारत दुनिया की कैंसर राजधानी बन गया है। विश्व स्वास्थ्य दिवस के दौरान पेश की गई एक रिपोर्ट में भारत को दुनिया की कैंसर कैपिटल कहा गया है। कैंसर डेटा के अनुसार, वर्ष 2022 में दुनिया भर में कैंसर के अनुमानित 2 करोड़ कैंसर के नए मामलों का निदान किया गया और 97 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी। इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2050 तक कैंसर के मरीजों की संख्या हर साल 35 मिलियन तक पहुंच सकती है।
और पढ़ें: रात के तीसरे पहर में होती हैं सबसे ज्यादा मौतें, इस समय होती हैं शैतानी ताकत सबसे ज्यादा एक्टिव!
कैंसर बढ़ने का कारण
बदलती जीवनशैली, पर्यावरणीय परिवर्तन और सामाजिक और आर्थिक मुद्दे सभी भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि में योगदान दे रहे हैं। तंबाकू के सेवन से फेफड़े, मुंह और गले के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप कैंसर पैदा करने वाले कण हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और कुछ खाद्य पदार्थ खाने से कई प्रकार के कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। अधिक पकेड फूड और कम शारीरिक मेहनत वाले काम के परिणामस्वरूप मोटापा बढ़ रहा है, जिससे स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर में वृद्धि हो रही है। वहीं, कैंसर का देर से पता चलना और इलाज शुरू न होना भी मामले बढ़ने का एक कारण है।
इन सबके अलावा एक कारण यह भी है कि विकासशील देश होने के नाते प्रतिस्पर्धा और लोगों का दबाव बढ़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप, विवाह और जन्म देर से हो रहे हैं। माताएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करा पाती हैं और इन सबका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। परिणामस्वरूप, शरीर आणविक शक्ति खो रहा है।
इन तरह के कैंसर के बढ़ रहे मामले
अपोलो के अनुसार, भारतीय महिलाओं में स्तन, गर्भाशय, डिम्बग्रंथि और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर आम होते हैं। वहीं, पुरुषों में प्रोस्टेट, मुंह और फेफड़ों का कैंसर बेहद आम है। भले ही निदान की औसत आयु अन्य देशों की तुलना में कम हो। इसके बावजूद, भारत में कैंसर स्क्रीनिंग दर बेहद कम है। अपोलो शोध से यह भी पता चला कि, भारत में कैंसर स्क्रीनिंग की पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता के बावजूद, लोग अभी भी चेकअप का विकल्प चुन रहे हैं, जो एक सकारात्मक विकास है।
कैसे करें बचाव
डॉक्टर्स के मुताबिक, कैंसर, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों से बचने की सबसे बड़ी रणनीति यह है कि अधिक से अधिक लोग नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं। इसका तात्पर्य यह है कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसे हासिल करने के लिए लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा। उन्हें वर्ष में एक बार आवश्यक बीमारियों की जांच करानी चाहिए।
और पढ़ें: Water Poisoning: बहुत अधिक पानी पीने से क्या होता है? जानिए यहां