India Government Debt: भारत में आर्थिक विकास की गति तेज़ रही है, लेकिन इसके साथ ही सरकारी कर्ज़ भी अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुका है। आजतक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक भारत सरकार पर कुल ₹181.74 लाख करोड़ का कर्ज़ हो जाएगा, जो देश की पूरी अर्थव्यवस्था का 56% होगा। इस हिसाब से प्रत्येक भारतीय नागरिक पर ₹1,25,000 का कर्ज़ बैठता है। विदेशी कर्ज़ की बात करें, तो सितंबर 2024 तक यह 711.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो देश के विदेशी मुद्रा भंडार से अधिक है। यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई बड़े सवाल खड़े करती है।
भारत पर कुल सरकारी कर्ज़: पिछले 20 वर्षों की तस्वीर- India Government Debt
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार का कुल कर्ज़ बीते दो दशकों में तेज़ी से बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक:
वर्ष | कुल सरकारी कर्ज़ (₹ लाख करोड़ में) |
2004 | 17 लाख करोड़ |
2014 | 55 लाख करोड़ |
2023 | 161 लाख करोड़ |
2025 (अनुमानित) | 181.74 लाख करोड़ |
यानी 2004 से 2023 तक 9 गुना बढ़ोतरी हुई है, जिसमें 2014 से 2023 के बीच 192% की वृद्धि दर्ज की गई।
क्या है विदेशी कर्ज़ का प्रभाव?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, सितंबर 2024 तक भारत का विदेशी कर्ज़ बढ़कर 711.8 अरब डॉलर हो गया, जो जीडीपी का 19.4% है। मात्र 3 महीनों (जुलाई-सितंबर 2024) में ही 2.52 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। विदेशी कर्ज़ बढ़ने से रुपये की कीमत पर दबाव बढ़ता है और महंगाई दर में इजाफा हो सकता है।
मनमोहन सिंह बनाम मोदी सरकार: किसके कार्यकाल में अधिक कर्ज़ लिया गया?
विदेशी कर्ज़ के मामले में:
- UPA सरकार (2005-2013) के दौरान विदेशी कर्ज़ 10 लाख करोड़ से बढ़कर 34.03 लाख करोड़ हुआ (240% वृद्धि)।
- NDA सरकार (2014-2023) में विदेशी कर्ज़ 46.78% बढ़कर 50 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया।
घरेलू कर्ज़ के मामले में:
- UPA सरकार (2005-2013) के दौरान देसी कर्ज़ 13 लाख करोड़ से बढ़कर 42 लाख करोड़ हुआ (223% वृद्धि)।
- NDA सरकार (2014-2023) में घरेलू कर्ज़ 89 लाख करोड़ तक पहुंच गया (250% वृद्धि)।
यानी मोदी सरकार में घरेलू कर्ज़ बढ़ने की दर UPA सरकार से अधिक रही है।
भारत सरकार इतना कर्ज़ कहां खर्च कर रही है?
2014 के बाद से सरकार कई योजनाओं और सब्सिडी पर खर्च कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
जो डंका बजाने आया था
लंका लगा बैठा है देश की अब भी चुप रहे
तो धिक्कार है
पत्रकार संदीप चौधरी की ये रिपोर्ट जरूर देखे pic.twitter.com/JMnGgvMwmE
— काव्या INDIA (@bindass_ladki) February 28, 2025
- 80 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त राशन – प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत।
- 10 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर – उज्ज्वला योजना।
- 9 करोड़ किसानों को सालाना ₹6,000 – पीएम किसान सम्मान निधि।
- 2 करोड़ से अधिक परिवारों को घर – पीएम आवास योजना के तहत।
इन योजनाओं ने लोगों को सीधा लाभ पहुंचाया, लेकिन सरकारी खर्च और कर्ज़ में इजाफा कर दिया।
IMF की चेतावनी: क्या भारत 100% जीडीपी के बराबर कर्ज़ की ओर बढ़ रहा है?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी ये चेतावनी दे चुका है कि यदि भारत इसी दर से कर्ज़ लेता रहा, तो 2030 तक भारत का कुल सरकारी कर्ज़ जीडीपी के 100% तक पहुंच सकता है। हालांकि, भारत सरकार ने यह कहते हुए चिंता को खारिज किया कि ज्यादातर कर्ज़ घरेलू मुद्रा में है, इसलिए इसमें संकट का खतरा कम है।
रुपये की गिरावट और कर्ज़ का संबंध
- 2014 में 1 डॉलर = ₹60-62 था।
- 2023 तक 1 डॉलर = ₹82-83 हो गया था।
- 2023 तक 1 डॉलर =₹84-85 हो गया था।
- 2025 तक 1 डॉलर = ₹87.47 हो गया।
- रुपये की गिरावट से आयात महंगा होता है, जिससे सरकार के कर्ज़ का बोझ बढ़ता है।
आरबीआई के $600 बिलियन विदेशी मुद्रा भंडार के बावजूद रुपये में गिरावट ने कर्ज़ चुकाने की लागत को बढ़ा दिया है।
बढ़ते कर्ज़ से भारत को क्या नुकसान हो सकता है?
- ब्याज भुगतान का बढ़ता बोझ: सरकार को अपने राजस्व का 25% ब्याज चुकाने में खर्च करना पड़ रहा है, जिससे अन्य विकास कार्यों के लिए संसाधन कम होते हैं।
- रेटिंग एजेंसियों की चिंता: यदि भारत का कर्ज़ बढ़ता रहा, तो वैश्विक क्रेडिट रेटिंग घट सकती है, जिससे विदेशी निवेश कम हो सकता है।
- महंगाई और रुपये पर असर: अधिक कर्ज़ लेने से महंगाई बढ़ सकती है और रुपये की कीमत और गिर सकती है।
- आर्थिक स्थिरता पर खतरा: अगर कर्ज़ का इस्तेमाल उत्पादक क्षेत्रों में नहीं किया गया, तो भविष्य में वित्तीय संकट पैदा हो सकता है।
भारत को कर्ज़ नियंत्रण में लाने के लिए क्या करना चाहिए?
- राजकोषीय घाटे को सीमित करना: सरकार को अपने खर्च को नियंत्रित करने और अनावश्यक सब्सिडी में कटौती करनी चाहिए।
- आय बढ़ाने के प्रयास: टैक्स बेस बढ़ाना, विनिवेश और निजीकरण को बढ़ावा देना जरूरी है।
- रुपये की स्थिरता बनाए रखना: आरबीआई को विदेशी मुद्रा भंडार को और मजबूत करना होगा।
- उधारी का सही उपयोग: कर्ज़ को बुनियादी ढांचे, रोजगार और उत्पादन बढ़ाने वाले क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए।